A
Hindi News विदेश एशिया अफगानिस्तान में तालिबान शासन के पूरे हुए 3 साल, किस तरह के हुए हैं बदलाव; जानें महिलाओं का हाल

अफगानिस्तान में तालिबान शासन के पूरे हुए 3 साल, किस तरह के हुए हैं बदलाव; जानें महिलाओं का हाल

अफगानिस्तान से अमेरिकी सौनिकों की वापसी के बाद तालिबान नें सत्ता संभाली थी। अफगानिस्तान में तालिबान को शासन चलाते हुए तीन साल हो गए हैं। इन वर्षों में अफगानिस्तान में काफी कुछ बदला है।

Taliban Rule In Afghanistan- India TV Hindi Image Source : FILE AP Taliban Rule In Afghanistan

काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान शासन को तीन साल हो गए हैं। इन तीन साल में उसने इस्लामिक कानून की अपनी व्याख्या थोपी और वैध सरकार के अपने दावे को मजबूत करने की कोशिश की है। देश के आधिकारिक शासक के तौर पर कोई राष्ट्रीय मान्यता ना होने के बावजूद तालिबान ने चीन और रूस जैसी प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियों के साथ उच्च स्तरीय बैठकें की हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित वार्ताओं में भी भाग लिया है जिसमें अफगानिस्तान की महिलाओं तथा नागरिक समाज से जुड़े लोगों को भाग लेने का अवसर नहीं दिया गया। यह तालिबान के लिए जीत है जो अपने आप को देश के इकलौते सच्चे प्रतिनिधि के तौर पर देखता है।

ऐसी है व्यवस्था

अफगानिस्तान में मस्जिद और मौलवी एक तरफ हैं, काबुल प्रशासन दूसरी तरफ है जो मौलवियों के फैसलों को लागू करता है और विदेशी अधिकारियों से मुलाकात करता है। ‘मिडल ईस्ट इंस्टीट्यूट’ में अनिवासी शोधार्थी जावेद अहमद ने कहा, ‘‘विभिन्न स्तर पर उग्रवाद है और तालिबान सत्तारूढ़ कट्टरपंथियों और राजनीतिक व्यावहारवादियों के साथ एक असहज गठबंधन में हैं।’’ 

विदेशी सहायता पर बढ़ी अफगानिस्तान की निर्भरता

सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा के प्रभारी रहते हुए और सर्वोच्च नेताओं के सेवानिवृत्त होने या इस्तीफा देने तक सबसे विवादास्पद नीतियों के पलटने की संभावना नहीं है। प्राकृतिक आपदाओं और घर लौटने के दबाव में पाकिस्तान से आ रहे अफगान नागरिकों के प्रवाह ने आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी सहायता पर अफगानिस्तान की निर्भरता को बढ़ा दिया है। यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भविष्य में उस प्रकार की सहायता नहीं भेज सका तो यह एक बड़ा जोखिम है।

Image Source : file apAfghanistan Taliban Rule

तालिबान का प्रतिबंध

अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए एक और महत्वपूर्ण झटका महिला शिक्षा और अधिकतर रोजगार पर तालिबान का प्रतिबंध है, जिससे अफगानिस्तान की आधी आबादी खर्च और कर भुगतान के मामले में कमजोर पड़ गई है अन्यथा अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती थी। तालिबान के लिए चीन और रूस से संबंध महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य है। फिलहाल, खाड़ी देश भी तालिबान के साथ अपने रिश्ते बढ़ा रहे हैं। (एपी)

यह भी पढ़ें:

अफगानिस्तान में बहने वाली सबसे लंबी नदी कौन सी है? 

पाकिस्तान: स्वतंत्रता दिवस की खुशी में बेच रहा था झंडा, आतंकियों ने दुकान पर किया हमला; 3 की मौत

Latest World News