Sri Lanka: श्रीलंका सरकार ने अपने सबसे बुरे ऊर्जा संकट के बीच जनता को व्यवस्थित तरीके से फ्यूल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘फ्यूल पास’ की शुरुआत की है। यह पास हर गाड़ी मालिक को साप्ताहिक कोटा की गारंटी देगा। 1948 में आजादी के बाद से श्रीलंका अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विदेशी मुद्रा संकट के कारण देश अपने आवश्यक आयात, फ्यूल, भोजन और दवा के लिए भुगतान करने में असमर्थ है। जनता फ्यूल, रसोईं गैस और कई घंटों तक बिजली कटौती की समस्या से जूझ रही है। ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकारा ने 16 जुलाई को इस पहल के शुरू होने के बाद कहा, “आज हमने ‘राष्ट्रीय फ्यूल पास’ पेश किया है। यह प्रत्येक वाहन के लिए साप्ताहिक कोटा की गारंटी देगा।”
CPC और ICTA ने मिलकर बनाया है पास
सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (CPC) और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ICTA) की सहायता से राष्ट्रीय फ्यूल पास विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि जनता को सलाह दी जाती है कि वे अपनी व्यक्तिगत पहचान के साथ फ्यूल पास वेबसाइट foodpass.gov.ik पर पंजीकरण करें। अधिकारियों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अपने राष्ट्रीय पहचान पत्र संख्या, पासपोर्ट संख्या या व्यवसाय पंजीकरण संख्या के तहत एक वाहन का पंजीकरण करा सकता है। इसके अलावा, कुछ अन्य जानकारी जैसे नाम, पता, फोन नंबर, इस्तेमाल किया जाने वाला वाहन आदि भी प्रस्तुत किया जाना चाहिए। पंजीकरण के बाद प्राप्त क्यूआर कोड को फ्यूल प्राप्त करने के लिए दिखाना होगा। क्यूआर कोड को किसी के मोबाइल फोन पर स्क्रीनशॉट के रूप में सेव किया जा सकता है। जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है वे अपने पास क्यूआर कोड की प्रतिलिपि रख सकते हैं। विजेसेकारा ने कहा कि सरकार ने फ्यूल की आपूर्ति के ऑर्डर नहीं दे पा रही है। वहीं फ्यूल की खपत में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सरकार ने बीते 27 जून को फ्यूल की आपूर्ति बंद कर दी थी और इसे केवल आवश्यक सेवाओं तक ही सीमित कर दिया था।
श्रीलंका में 44 साल बाद संसद चुनेगी देश का राष्ट्रपति
श्रीलंका क्राइसिस और गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बीच समय आ गया है, जब 1978 के बाद पहली बार देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव जनता नहीं, बल्कि श्रीलंकाई संसद करेगा। सांसदों के गुप्त मतदान से इस बार श्रीलंका का राष्ट्रपति चुना जाएगा। संसद के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने कहा कि 225 सांसद, 20 जुलाई को गुप्त मतदान से देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे। इतिहास में झांके तो श्रीलंका में 1978 के बाद आज तक कभी भी राष्ट्रपति का चुनाव संसद के द्वारा नहीं किया गया है। हमेशा देश की जनता ही अपना राष्ट्रपति चुनती आई है। बस एक बार 1993 में ऐसा हुआ था, जब डी बी विजेतुंगा को संसद द्वारा सर्वसम्मति से देश का राष्ट्रपति चुना गया था। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा की हत्या कर दी गई थी।
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