"दक्षिण और पूर्वी चीन सागर दुनिया में संघर्ष के नए केंद्र बिंदु", ओलाफ शोल्ज ने कहा-भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र
जर्मन चांसलर ने दुनिया में छिड़े वैश्विक संघर्षों के राजनीतिक समाधान की वकालत की है। ओलाफ शोल्ज ने कहा कि इसके लिए सभी को कथनी और करनी में तालमेल भी बैठाना होगा।
नई दिल्लीः भारत यात्रा पर आए जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने शुक्रवार को वैश्विक संघर्षों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों पर आधारित राजनीतिक समाधान की वकालत करते हुए कहा कि समृद्धि, व्यापार और आर्थिक सहयोग को संरक्षित करना अपरिहार्य है। वह जर्मन बिजनेस 2024 के ‘18वें एशिया-प्रशांत सम्मेलन’ को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान शोल्ज ने मध्य पूर्व, दक्षिण और पूर्वी चीन सागर जैसे क्षेत्रों में लगातार तनाव और यूक्रेन में रूस की कार्रवाइयों से उत्पन्न खतरों का भी उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने दक्षिण और पूर्वी चीन सागर को दुनिया में संघर्ष का नया केंद्र बिंदु बनाया।
शोल्ज ने इस दौरान कहा कि पश्चिम एशिया लगातार तनाव का केंद्र बना हुआ है और राजनीतिक समाधान तक पहुंचने में दुनिया के देशों की असमर्थता के कारण विभाजन की मानवीय कीमत की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि ग्रीन प्रायद्वीप और दक्षिण एवं पूर्वी चीन सागर संभावित संघर्षों के नये बिंदु बन गये हुए हैं, भले ही ‘हम सभी को उम्मीद है’ कि इन संघर्षों को रोका जा सकता है। जर्मन चांसलर ने सावधान करते हुए कहा, ‘‘बहुध्रुवीय दुनिया में कोई वैश्विक प्रहरी नहीं है, कोई भी ऐसा प्रहरी नहीं है, जो हमारे सामान्य नियमों की निगरानी कर सके। अगर यूक्रेन के खिलाफ अपने अवैध क्रूर युद्ध में रूस सफल हो जाता है, तो इसका असर यूरोप की सीमाओं से कहीं आगे तक होगा।
वैश्विक संघर्षों का हो राजनीतिक समाधान
जर्मन चांसलर ने वैश्विक संघर्षों के राजनीतिक समाधान की वकालत की। शोल्ज ने कहा कि दुनिया के जिन क्षेत्रों में युद्ध और संघर्ष छिड़ा है, उसका राजनीतिक समाधान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर रूस यह युद्ध यूक्रेन से जीत गया तो ऐसा परिणाम पूरी दुनिया की सुरक्षा और समृद्धि को खतरे में डाल देगा। इसलिए, आज आप सभी के लिए मेरा पहला संदेश यह है..आइए हम इन संघर्षों के राजनीतिक समाधान के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, करें। ऐसे समाधान जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों पर आधारित हों।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह न केवल एक राजनीतिक दायित्व है, बल्कि अगर हम संपत्ति, व्यापार और आर्थिक सहयोग की रक्षा करना चाहते हैं, तो यह अनिवार्य भी है।’’
कथनी और करनी में तालमेल जरूरी
ओलाफ शोल्ज ने दुनिया के नेताओं को संदेश देते कहा कि सभी की कथनी और करनी में तालमेल बिठाने की जरूरत है। शोल्ज ने कहा कि भारत के साथ-साथ जापान, कोरिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की यात्रा पर एक जर्मन पोत का जाना खुले समुद्र और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति ‘हमारी प्रतिबद्धता’ को रेखांकित करता है। शोल्ज़ ने यह भी कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, जिसका नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में लगभग तेजी से बढ़ रहा है। (भाषा)
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