A
Hindi News विदेश एशिया 'चौराहे का नाम रखो शहीद भगत सिंह', पाकिस्तान की कोर्ट ने पंजाब सरकार को लगाई फटकार, दिया एक और मौका, जानें मामला

'चौराहे का नाम रखो शहीद भगत सिंह', पाकिस्तान की कोर्ट ने पंजाब सरकार को लगाई फटकार, दिया एक और मौका, जानें मामला

लाहौर में शादमान चौक का नाम बदले जाने को लेकर मामला कोर्ट पहुंचा हुआ है। लाहौर कोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 8 नवंबर को है।

लाहौर कोर्ट ने पंजाब सरकार को लगाई फटकार- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO लाहौर कोर्ट ने पंजाब सरकार को लगाई फटकार

पाकिस्तान की एक कोर्ट ने वहां की पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई है। ये मामला स्वतंत्रता संग्राम के नायक शहीद भगत सिंह से जुड़ा हुआ है। लाहौर के एक चौराहे का नाम स्वतंत्रता संग्राम के नायक शहीद-ए-आजम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने के संबंध में अदालती आदेश का अनुपालन नहीं किया गया।

लाहौर में शादमान चौक का है मामला

इसी बात पर नाराज होते हुए कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिये अंतिम मौका दिया है। लाहौर में शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के अदालत के आदेश पर पंजाब सरकार ने अमल न किए जाने पर उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

जवाब देने के लिए और मांगा समय

लाहौर हाई कोर्ट के न्यायाधीश शम्स महमूद मिर्जा ने भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को इस मामले पर जवाब देने का अंतिम मौका दिया है। पंजाब सरकार के वकील साद बिन गाजी अदालत में पेश हुए और जवाब देने के लिए और समय मांगा। 

मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को

जज ने अपने आदेश में कहा,'पंजाब के वकील के अनुरोध पर पंजाब सरकार को इस मामले पर जवाब देने का आखिरी मौका दिया जाता है। याचिकाकर्ता के वकील खालिद जमान खान काकर ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में पहले ही काफी देरी हो चुकी है। इस पर तुरंत फैसला किया जाना चाहिए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 8 नवंबर तय की है।

2018 में नाम रखने का दिया गया था आदेश

फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी ने शादमान चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने में सरकार के विफल रहने पर अवमानना ​​याचिका दायर की थी। कुरैशी ने कहा कि लाहौर हाई कोर्ट ने 2018 में सरकार को शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने का आदेश दिया था, जहां उन्हें 1931 में फांसी दी गई थी। 

जानबूझ कर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ

उन्होंने कहा, 'लेकिन प्रांतीय और जिला दोनों सरकारों ने जानबूझकर लाहौर हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, इस प्रकार अवमानना हुई।' भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी और उस समय देश अविभाजित था। भारतीय उपमहाद्वीप में स्वतंत्रता सेनानी का न केवल सिखों और हिंदुओं द्वारा बल्कि मुसलमानों द्वारा भी सम्मान किया जाता है।

भाषा के इनपुट के साथ

Latest World News