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Hindi News विदेश एशिया मैंने अगली सुबह चीन के विदेश मंत्री को फोन लगाया... जयशंकर ने बताया गलवान में हिंसक झड़प होने के बाद क्या हुआ, वांग यी से क्या कहा

मैंने अगली सुबह चीन के विदेश मंत्री को फोन लगाया... जयशंकर ने बताया गलवान में हिंसक झड़प होने के बाद क्या हुआ, वांग यी से क्या कहा

India China Galwan Clash: लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस तरह की झड़प 40 साल के बाद हुई थी।

foreign minister s jaishankar- India TV Hindi Image Source : PTI foreign minister s jaishankar

Highlights

  • भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई थी झड़प
  • दोनों सेनाओं के बीच गलवान में हुआ था संघर्ष
  • अगले दिन विदेश मंत्री जयशंकर ने यी को किया फोन

India China Galwan Clash: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत के लिए चीन के साथ संबंधों में ढाई साल ‘बहुत कठिन’ रहे हैं, जिसमें 40 साल बाद सीमा पर हुआ पहला रक्तपात भी शामिल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने बीजिंग के साथ संवाद माध्यम को खुला रखा क्योंकि पड़ोसियों को एक-दूसरे से बात करनी पड़ती है। जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के संबंधों के बढ़ते महत्व और सुरक्षा-केंद्रित क्वाड के सदस्यों के रूप में दोनों देशों के हितों पर लोवी इंस्टिट्यूट में अपने संबोधन के बाद सवालों के जवाब में यह बात कही है।

विदेश मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'चीन के साथ संबंधों में हमारे लिए ढाई साल बहुत कठिन थे, जिसमें 40 साल बाद सीमा पर हुआ पहला रक्तपात शामिल है और जहां हमने वास्तव में 20 सैनिकों को खो दिया है।' साल 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे मंत्री ने कहा, ‘लेकिन हमारा प्रयास, मेरा प्रयास संवाद माध्यम को चालू रखने का रहा है। वास्तव में, उसके बाद की सुबह, मैंने अपने समकक्ष वांग यी को फोन किया और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि चीनी पक्ष की ओर से कोई तनाव भड़काने वाला या जटिलता पैदा करने वाला काम नहीं किया जाए।’

देशों के बीच संवाद जरूरी

उन्होंने कहा, ‘कूटनीति संचार के बारे में है। यह सिर्फ चीन के साथ संबंधों में नहीं है, यहां तक ​​​​कि (अन्य देशों) के संबंध में भी... यदि राजनयिक एक-दूसरे के साथ संवाद नहीं करेंगे, तो वे किस तरह की कूटनीति करेंगे?' उन्होंने कहा कि आखिर में देशों को एक-दूसरे के साथ बात करनी पड़ती है। भारत लगातार यह कहता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। गतिरोध को हल करने के लिए भारत और चीन की सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत की है।

पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ था। दोनों देशों ने 12 सितंबर को पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 से अग्रिम पंक्ति के अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया था और वहां बनाए गए अस्थायी बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया था।

चीन ने भी जारी किया बयान

भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर करीब एक हफ्ते पहले चीन ने बयान जारी कर कहा था कि जून 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद बने हालात अब सामान्य हो गए हैं और सीमा पर प्रबंधन और नियंत्रण ​कार्य पहले की तरह होने लगा है। पूर्वी लद्दाख में डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया अधूरी रहने के बावजूद यह बयान चीन की ओर से आया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी पीआरसी की स्थापना की 73वीं वर्षगांठ के अवसर पर बोलते हुए भारत में चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने यह भी कहा कि इस वर्ष चीन-भारत संबंधों ने नई उंचाइयां हासिल की है। 

चीन ने यह दावा तब किया है, जब उसने इस साल 3 बार युनाइटेड नेशन द्वारा बैन किए गए आतंकवादी संगठनों लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद के पाकिस्तान स्थित कमांडरों पर यूएन सैंक्शंस को वीटो लगाकर रोका है। बीजिंग भारत को यह समझाने में असमर्थ रहा है कि वह इन आतंकवादियों को क्यों बचा रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर यूएनजीए यानी यूएन जनरल असेंबली के अपने संबोधन में ‘दोहरे मानदंडों‘ के लिए चीन की खिंचाई भी की थी।

भारत स्वीकार करता है कि कई घर्षण बिंदुओं पर डिसएंगेजमेंट हुआ है। सरकार यह भी मानती है कि चीन को सीमा पर शेष मुद्दों को भी जल्द से जल्द हल करना चाहिए और संबंधों को सामान्य करने व द्विपक्षीय आदान प्रदान फिर से शुरू करने से पहले डी एस्केलेशन के लिए काम करना चाहिए। यही एक कारण था कि समरकंद में हाल ही में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई थी। 

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