Irani Women Against Hijab: भारत में जिस हिजाब को इस्लामी ठेकेदार मुस्लिम युवतियों और महिलाओं को जबरन पहनाना चाहते हैं और ऐसा करने से रोके जाने पर बवाल कर रहे हैं, उसी हिजाब के खिलाफ इरान की महिलाओं में गुस्सा है। इरान की महिलाएं इस्लामिक ठेकेदारों को आइना दिखाते हुए इसे जबरन आग में फेंककर जला रही हैं। वह इस तरह से हिजाब थोपने को महिलाओं की आजादी का उल्लंघन मानती हैं। इरान की मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि वह आधुनिक युग में जी रही हैं, जहां हिजाब को जबरन नहीं थोपा जा सकता। वहीं दूसरी तरफ भारत के ठेकेदार मुस्लिम महिलाओं को स्कूल और कालेज तक में हिजाब पहन कर जाने की अनुमति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक में लड़ाई लड़ रहे हैं। इससे भारत और इरान के मुसलमानों की सोच में फर्क को समझा जा सकता है।
ईरान में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं से हाल के दिनों में मोबाइल फोन पर मिले संदेशों के बारे में बात करते हुए मसीह अलीनेजाद की आखों में आंसू आ गए। देश के सख्त धार्मिक ‘ड्रेस कोड’ का उल्लंघन किये जाने को लेकर पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय एक युवती की मौत हो जाने के बाद ईरान में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। अलीनेजाद को मोबाइल फोन पर मिले संदेशों में बताया गया है कि सुरक्षा बलों से आमना-सामना होने की स्थिति में उन्हें किस कदर खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
हिजाब के खिलाफ इरान की महिलाओं में भड़का आक्रोश
जबरन हिजाब थोपे जाने पर इरान की महिलाओं में जमकर आक्रोश भड़क गया है। इसके खिलाफ वह कई दिनों से सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। खास बात यह है कि उनकी इस मुहिम में पुरुषों का एक वर्ग भी साथ दे रहा है। मगर सरकार जबरन मुस्लिम महिलाओं के इस आंदोलन को दबाना चाहती है। इरान की सरकार का असंतुष्टों पर कार्रवाई करने का सुरक्षा बलों का एक लंबा इतिहास रहा है। इरान में महिलाओं को आए ह्वाट्सएप संदेशों में, पुलिस के साथ हुए टकराव, महिलाओं के हिजाब उतारने और अपने बाल कटवाने के वीडियो भेजे गये हैं। अलीनेजाद (46)ने न्यूयार्क शहर में कहा, ‘‘मैं मोबाइल फोन पर मिले संदेशों में प्रकट किये गये गुस्से को अभी महसूस कर रही हूं। ईरान में 2009 के चुनाव के बाद से देश छोड़ने के बाद यह लेखिका न्यूयार्क में निर्वासन में रह रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (महिलाओं को) वर्षों से नजरअंदाज किया जा रहा है। यही कारण है कि वे आक्रोशित हैं। ईरानी महिलाएं अब गुस्से में है।
हिजाब न पहनने पर 22 वर्षीय माहसा की मौत पर बवाल
माहसा अमीनी (22) को हिजाब सही तरीके से नहीं पहनने को लेकर 13 सितंबर को हिरासत में लिया गया था। पुलिस हिरासत में तीन दिनों बाद उसकी मौत हो गई। अधिकारियों ने उसकी मौत की वजह दिल का दौरा पड़ना बताया था। इसके बाद, जनाक्रोश पैदा हो गया। अमीनी को 17 सितंबर को दफन किये जाने के बाद प्रदर्शन शुरू हुए और यह दर्जनों शहरों में फैल गये हैं। समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, कम से कम 11 लोग मारे गये हैं। धीरे-धीरे यह मामला संयुक्त राष्ट्र तक पहुंच गया है। खास बात है कि अमेरिका भी इरानी महिलाओं के पक्ष में आ गया है। मानवाधिकार संगठन भी इरान सरकार की इस मामले में निंदा कर रहे हैं।
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