Quad Statement on China: चीन के लिए चिंता का सबब बने हुए क्वाड ग्रुप ने एक बार फिर उसे इशारों में कड़ा संदेश दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन सहित क्वाड के नेताओं ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में ‘बिना किसी उकसावे के और एकतरफा रूप से’ यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने की किसी भी कोशिश का मंगलवार को पुरजोर विरोध किया। इन नेताओं ने साथ ही बल प्रयोग या किसी तरह की धमकी के बिना शांतिपूर्ण ढंग से विवादों का निपटारा करने का आह्वान किया। क्वाड के इस बयान को आक्रामक चीन के लिये स्पष्ट संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
क्वाड नेताओं ने वैश्विक मुद्दों पर की बात
क्वाड नेताओं ने क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था को बरकरार रखने का संकल्प जताया। इसका मतलब है कि चीन को किसी भी तरह के दुस्साहस का क्वाड की तरफ से कड़ा जलाब मिलेगा। क्वाड ग्रुप के नेताओं की आमने-सामने की दूसरी बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रमों और साझा हितों से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
संयुक्त बयान ने उड़ा दी होगी चीन की नींद
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, ‘हम ऐसी किसी भी बलपूर्वक, उकसाने वाली या एकतरफा कार्रवाई का पुरजोर विरोध करते हैं, जिसके जरिये यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने की कोशिश की जाए। इसमें विवादित चीजों का सैन्यीकरण, तटरक्षक पोतों एवं नौवहन मिलिशिया का खतरनाक इस्तेमाल, दूसरे देशों के अपतटीय संसाधनों के उपयोग की गतिविधियों को बाधित करने जैसी कार्रवाई शामिल है।’ इसमें कहा गया है कि क्वाड, क्षेत्र में सहयोगियों के साथ सहयोग बढ़ाने को प्रतिबद्ध है, जो मुक्त एवं खुले हिन्द प्रशांत की दृष्टि को साझा करते हैं।
क्वाड के देशों से तनावपूर्ण हैं चीन के संबंध
बयान में कहा गया है, ‘हम अंतरराष्ट्रीय कानून का अनुपालन करने के हिमायती हैं, जैसा समुद्री कानून को लेकर संयुक्त राष्ट्र संधि (UNCLOS) में परिलक्षित होता है। साथ ही हम नौवहन एवं विमानों की उड़ान संबंधी स्वतंत्रता को बनाये रखने के पक्षधर हैं, ताकि नियम आधारित नौवहन व्यवस्था की चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके, जिसमें पूर्वी एवं दक्षिण चीन सागर शामिल है।’ क्वाड की बैठक ऐसे समय में हुई है जब चीन और इसके सदस्य देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। ग्रुप में शामिल चारों देशों से चीन की पहले भी कुछ खास नहीं बनती थी।
भारत ने 2020 में चीन को दी थी टक्कर
भारत की बात करें तो पूर्वी लद्दाख में 2020 में पैदा हुए गतिरोध के बाद से चीन के साथ उसके रिश्तों में तनाव रहा है। यह गतिरोध चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई विवादित क्षेत्रों में हजारों सैनिकों को तैनात करने के बाद पैदा हुआ था, जिसपर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी और इसका जोरदार विरोध किया था। भारत ने चीन पर पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के बाकी के इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने के लिये दबाव डाला है। ऐसा लगता है कि चीन को भारत से इतने कड़े प्रतिरोध की उम्मीद नहीं थी, और अब वह अपनी रणनीति पर दोबारा विचार कर रहा है।
दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की दादागिरी
दूसरी तरफ चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे इलाके पर अपना दावा करता है, जबकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके हिस्सों पर दावा करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप एवं सैन्य अड्डे भी बनाए हैं। चीन इन दिनों ताइवान को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है और उसने हाल ही में धमकी दी थी कि वह क्षेत्र में अमेरिका के दखल के खिलाफ ताइवान पर हमला कर सकता है। हालांकि ताइवान ने भी समय-समय पर किसी भी दुस्साहस का करारा जवाब देने की बात कही है।
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