Putin Iran Visit: NATO ने शुरू किया यूक्रेन युद्ध... पुतिन संग मीटिंग के बाद US पर भड़के खामनेई, ईरान-रूस के बीच हुई ये महाडील
नाटो सहयोगियों ने पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है और रूस के हमले का सामना करने के लिए यूक्रेन को हथियार मुहैया कराए हैं। रूस के आक्रमण के बाद से पुतिन की विदेश की यह दूसरी यात्रा है।
Highlights
- यूक्रेन युद्ध को लेकर ईरान ने जताया समर्थन
- ईरान ने युद्ध के लिए नाटो को जिम्मेदार बताया
- ईरान रूस के बीच हुई 40 बिलियन डॉलर की डील
Putin Iran Visit: यूरोपीय देश यूक्रेन में बीते करीब पांच महीने से भीषण जंग चल रही है, जिसके लिए पश्चिमी देश रूस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई का कहना है कि ये जंग तो अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) ने शुरू की है। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ तेहरान में बैठक करने के बाद नाटो को एक 'खतरनाक क्रिएचर' करार दिया है। खामनेई ने कहा कि पश्चिमी देश एक मजबूत और स्वतंत्र रूस के खिलाफ हैं। इन देशों यानी ईरान और रूस के बीच एक 40 बिलियन डॉलर की महाडील भी हुई है।
पुतिन के साथ बैठक के बाद खामनेई ने कहा, 'युद्ध एक हिंसक और मुश्किल मुद्दा है और इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान भी इससे खुश नहीं है कि आम लोग इसकी चपेट में आएं।' लेकिन जहां यूक्रेन की बात है, तो आपको पहल करनी होगी, वहीं वो दूसरा पक्ष है, जिसने लड़ाई शुरू की है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश एक मजबूत और स्वतंत्र रूस के खिलाफ हैं। ऐसे में अगर नाटो यूक्रेन में नहीं रुका, तो फिर वो भी वैसी ही जंग शुरू कर देगा और क्रीमिया को बहाना बनाएगा। क्रीमिया यूक्रेन का वही इलाका है, जिसपर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था।
नागरिकों की मौत को त्रासदी बताया
ईरान के स्थानीय मीडिया के अनुसार, पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन के युद्ध में आम नागरिकों की मौत एक बड़ी त्रासदी है। इसके साथ ही उन्होंने रूस की प्रतिक्रिया (यूक्रेन पर हमलों के लिए) के लिए पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा है, 'कुछ पश्चिमी देशों का कहना है कि हम यूक्रेन की नाटो में सदस्यता के खिलाफ हैं। लेकिन हम अमेरिका के दबाव के कारण ऐसा कर रहे हैं।' ठीक इसी दौरान ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि रूस और ईरान ने इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बढ़ाई है। पश्चिम के विपरीत वो ईरान और रूस ही हैं, जो श्रेत्र में आतंकवाद को खत्म करने के लिए ईमानदारी और गंभीरता से सहयोग कर रहे हैं।
ये पुतिन का ईरान का पांचवां दौरा है और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से पूर्व सोवियत देश का पहला दौरा है। रूसी राष्ट्रपति ऐसे वक्त पर ईरान आए हैं, जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल में ही इजरायल और सऊदी अरब का दौरा किया है। ये दोनों ही देश ईरान के दुश्मन माने जाते हैं। पुतिन के ईरान दौरे के समय दोनों देशों के बीच 40 बिलियन डॉलर की एक डील हुई है। इस डील के तहत तेल और गैस सेक्टर को विकसित किया जाएगा। ये समझौता ईरान की नेशनल ईरानियन तेल कंपनी और रूसी कंपनी गाजप्रोम के बीच हुआ है।
दूसरा बड़ा प्राकृतिक गैस का भंडार
ईरान के पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस का भंडार है। इस डील के तहत किश और नॉर्थ पारस गैस फील्ड के साथ ही 6 ऑयल फील्ड विकसित किए जाएंगे। ईरान के पास दुनिया में प्राकृतिक गैस का दूसरा सबसे बड़ा भंडार है, लेकिन पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण वह इसे विकसित नहीं कर पा रहा है। इतना ही नहीं पश्चिमी कंपनियां भी यहां निवेश नहीं कर पा रहीं। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने कहा था कि तेहरान मॉस्को को "सैकड़ों" लड़ाकू ड्रोन उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है, और ईरानी सैनिक अपने रूसी समकक्षों को ड्रोन का उपयोग करने के तरीके के बारे में प्रशिक्षित करेंगे।
वहीं खामनेई का यह बयान पुतिन के अपने बयान से काफी मेल खाता है और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहे दोनों देशों के बीच नजदीकी का संकेत देता है। नाटो सहयोगियों ने पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है और रूस के हमले का सामना करने के लिए यूक्रेन को हथियार मुहैया कराए हैं। रूस के आक्रमण के बाद से पुतिन की विदेश की यह दूसरी यात्रा है अैर इस दौरान उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से भी मुलाकात की। इस दौरान नेताओं के बीच सीरिया में जारी संकट और वैश्विक खाद्य संकट को दूर करने के लिए यूक्रेन से अनाज के निर्यात को दोबारा शुरू करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई।
एर्दोआन के साथ मुलाकात के दौरान पुतिन ने यूक्रेन अनाज निर्यात संबंधी समझौता करने में मदद करने के वास्ते उनका आभार व्यक्त किया। पुतिन ने कहा, ‘सभी मुद्दे हल नहीं हुए हैं लेकिन कुछ प्रगति हुई, जो अच्छी बात है।’