चीन को जवाब देने के लिए PM मोदी ने लिया इतिहास का सबसे बड़ा फैसला, अब ड्रैगन की खैर नहीं
अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक लगने वाली भारत-चीन की सीमा पर अब शी जिनपिंग की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) कदम तक नहीं रख सकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को कड़ा जवाब देने के लिए भारत के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा फैसला लिया है। इस निर्णय के बारे में सुनते ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खेमे में खलबली है।
नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक लगने वाली भारत-चीन की सीमा पर अब शी जिनपिंग की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) कदम तक नहीं रख सकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को कड़ा जवाब देने के लिए भारत के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा फैसला लिया है। इस निर्णय के बारे में सुनते ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खेमें मे खलबली मच गई है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई आज की कैबिनेट बैठक में इस ऐतिहासिक फैसले पर मुहर भी लगा दी गई है। इससे अब चीन की खैर नहीं होगी। भारत सरकार के इस फैसले से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। आइए अब आपको बताते हैं कि पीएम मोदी ने ऐसा कौन सा बड़ा फैसला लिया है, जिससे कि चीन में अभी से हलचल मच गई है?
वैसे तो जून 2020 में चीन की छलपूर्वक की गई गलवान घाटी में कार्रवाई के बाद से ही पीएम मोदी ने एलएसी पर सेना की ताकत बढ़ाना शुरू कर दिया था और इंफ्रास्ट्रक्चर का सीमा पर जाल बिछने लगा था। पिछले आठ वर्षों में चीन सीमा पर कई हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण करने के साथ ही साथ दर्जनों सुरंगों, दर्रों और पुलों का बड़े पैमाने पर निर्माण किया गया है। इससे सेना को क्विक एक्शन लेने में आसानी हुई है। मगर नवंबर 2022 में तवांग में फिर चीनी सैनिक घुसपैठ के इरादे से भारतीय सीमा में आ गए थे, जहां से उन्हें भारतीय सेना ने मारकर खदेड़ दिया था। इसके बाद से ही चीन की घेराबंदी करना भारत की जरूरत बन गई थी, जो अब पीएम मोदी के सबसे बड़े ऐतिहासिक फैसले से पूरी होने जा रही है। आइए आपको बताते हैं कि वह फैसले क्या हैं।
ITBP की बनेगी 7 नई बटालियन
पीएम मोदी ने चीन को चित्त कर देने के लिए 3 बड़े फैसले लिए हैं। पहले फैसले के तौर पर चीन सीमा पर चप्पे-चप्पे पर सैनिकों की तैनाती के लिए भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के 7 नए बटालियन के गठन का ऐलान किया है। देश में पहली बार 24 अक्टूबर 1962 को आइटीबीपी का गठन किया गया था। आरंभ में इसकी सिर्फ 4 बटालियन थी। मौजूदा वक्त में इसकी 45 पलटनें और 4 विशेष पलटनें हैं। अब 7 नई बटालियान का गठन होने से एलएसी के हर एक प्वाइंट पर सैनिकों की तैनाती हो सकेगी। इससे अतिसंवेदनशील इलाकों में सेना की गश्त बढ़ जाएगी। साथ ही चीन पर 24 घंटे बारीकी से नजर रखना और गुस्ताखी करने पर उन्हें तत्काल मुंहतोड़ जवाब देना काफी आसान हो जाएगा।
एलएसी के चप्पे-चप्पे तक पहुंच के लिए बनेगी ऑल वेदर टनेल
प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरा फैसला वास्तविक नियंत्रण रेखा के चप्पे-चप्पे तक सेना की त्वरित कार्रवाई और पहुंच को मजबूत करने के बाबत लिया है। इसके तहत "ऑल वेदर टनेल (शिंकुन ला टनेल) " का निर्माण किए जाने का फैसला लिया गया है। इस सुरंग के बनने से हर मौसम में 24 घंटे सेना के जवान एलएसी तक मूवमेंट कर सकेंगे। इससे आपातकालीन स्थिति में दुश्मन को जवाब देने के लिए सेना के बख्तर बंद वाहनों से लेकर पैदल सेना और युद्धक वाहनों को सीमा तक पहुंचाने में किसी भी मौसम में आसानी होगी। अभी तक भीषण सर्दियों में सियाचिन और ग्लेशियर तक जाने वाले रास्ते बंद हो जाते हैं। ऐसे में सेना की कनेक्टिविटी कमजोर हो जाती है। मगर इस सुरंग के बनने से हर मौसम में सैनिकों और सैन्य वाहनों का आवागमन आसान हो जाएगा। सेना के लिए पीएम मोदी का यह फैसला सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
बॉर्डर पर बसे गांवों का पलायन रोकने को सबसे बड़ा निर्णय
पीएम मोदी ने चीन सीमा से लगे भारतीय गांवों के लोगों का सुविधाओं के अभाव में पलायन रोकने के लिए सबसे बड़ा निर्णय लिया है। इसके तहत सीमा के सभी गांवों का एकीकृत और हाईटेक विकास करने का फैसला लिया गया है। इसके बाद गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा से लेकर, पक्की सड़कें, 24 घंटे पानी, बिजली और हाईपर मार्केट की सुविधाएं भी मिलेंगी। ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ाने के लिए भी केंद्रीय योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाया जाएगा। ताकि सीमा से ग्रामीणों के पलायन को रोका जा सके। इससे दुश्मन चीन पर भारतीय सेना को नजर रखने में आसानी होगी। ग्रामीणों का सहयोग चीन की घुसपैठ को रोकने में लिया जाएगा।
गलवान, तवांग ही नहीं, अब सियाचिन और तिब्बत का भी होगा हिसाब
पीएम मोदी के इस फैसले से अब सिर्फ गलवान और तवांग का ही नहीं, बल्कि सियाचिन और तिब्बत का भी पूरा हिसाब लेने के लिए सैनिकों को मजबूत किया जाएगा। ताकि भविष्य में कभी भी चीन भारत पर हमला करने या घुसपैठ करने की बात तो दूर, उसकी ओर आंख उठाकर भी नहीं देख सके। आपको बता दें कि सियाचिन और तिब्बत भी पहले भारत का हिस्सा था, लेकिन चीन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में भारत के इन दोनों भूभागों को हथिया लिया था। पीएम मोदी ने इसलिए अब चीन सीमा पर सैनिकों की चप्पे-चप्पे पर तैनाती करने के साथ उन्हें अत्याधुनिक हथियारों और सुविधाओं से हाईटेक और लैस करना चाहते हैं। ताकि चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
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