SCO Summit Update: उज्बेकिस्तान के समरकंद में चल रहे एससीओ शिखर सम्मेलन में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई देशों के प्रतिनिधियों के साथ एक मंच पर हैं। इसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अरिपोव व राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी इत्यादि शामिल हो रहे हैं। इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा, आपसी सहयोग, विकास और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर अहम बैठक होगी। इसके बाद वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन , ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। मगर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ कोई भी द्विपक्षीय वार्ता का शेड्यूल अभी तक तय नहीं हुआ है।
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रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार चीन भारत से द्विपक्षीय वार्ता करने को इच्छुक था। कहा ये भी जा रहा है कि इसके लिए चीन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से भी सिफारिश लगाई थी कि प्रधानमंत्री मोदी को वह इसके लिए तैयार करे। मगर दगेबाज चीन से पीएम मोदी ने अभी तक द्विपक्षीय वार्ता के लिए हरी झंडी नहीं दी है। इससे चीन को काफी निराशा हो रही है। हालांकि आखिरी वक्त तक चीन की तरफ से भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए लॉबिंग का दौर जारी है। शुक्रवार को सुबह 10 बजे से सामूहिक बैठकों और सम्मेलनका दौर शुरू हो चुका है। आज रात सवा दस बजे प्रधानमंत्री भारत के लिए रवाना हो जाएंगे। वह 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर दक्षिण अफ्रीका से आ रहे चीतों में से दो को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे। इसके बाद अन्य नेशनल पार्क में बाकी चीते भेजे जाएंगे।
जिनपिंग से मुलाकात को तैयार नहीं होने के पीछे वजह
सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी से शी जिनपिंग की वार्ता कराने के लिए चीन का विदेश मंत्रालय कई दिनों से लगातार भारतीय विदेश मंत्रालय के संपर्क में है। रूस भी इसमें सहयोग कर रहा है, लेकिन अभी तक प्रधानमंत्री मोदी चीन से किसी भी वार्ता के लिए तैयार नहीं हुए हैं। बताया जा रहा है कि गलवान घाटी की घटना से पीएम मोदी चीन से बेहद नाराज हैं। अब वह शी जिनपिंग की बातों में नहीं आना चाहते। क्योंकि चीन ने अपनी छवि दगेबाज और धोखेबाज की बना ली है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलवान घाटी में जून 2020 में चीन के साथ हुई झड़प से पहले चीनी राष्ट्रपति का गुजरात में खूब मित्रवत स्वागत किया था। उन्हें झूले पर भी बैठाया था। शी जिनपिंग अक्टूबर 2019 में भारत के दो दिवसीय दौरा पर आए थे। मगर इसके एक वर्ष बाद ही चीन ने भारत की पीठ में खंजर घोंप दिया और उसके सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अंदर तक घुस आए थे। इस दौरान 20 भारतीय जवान सीमा पर शहीद हो गए थे। तब से भारत और चीन के बीच तनातनी चली आ रही है।
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एलएसी से चीन ने वापस बुलाए सैनिक
गत हफ्ते एलएसी के विवादित क्षेत्रों से चीन ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया। इसके बाद भारत ने भी विवादित क्षेत्रों से अपने सैनिकों की तैनाती हटा ली। इसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपित शी जनिपिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है। मगर सम्मेलन का आज आखिरी दिन है। दोपहर तक का वक्त गुजर चुका है। अभी तक इस बारे में भारत या चीन की तरफ से कोई कन्फर्मेशन नहीं आई है। सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी चीन की सीमा पर हरकतों की वजह से बेहद नाराज हैं। इसलिए वह जिनपिंग से मिलने को तैयार नहीं हो रहे। हालांकि रूस के राष्ट्रपति पुतिन के जरिए चीन अभी भी भारत से इसके लिए लगातार संपर्क में है। भारत के सेवानिवृत्त मेजर जनरल एस मेस्टन कहते हैं कि अभी भी लग रहा है कि शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है। इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इसके लिए अभी इंतजार करना चाहिए।
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