बाली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया के बाली में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए जहां भारत और इंडोनिशिया के बीच सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख किया वहीं यह भी कहा कि 2014 के पहले और 2014 के बाद भारत में बहुत बड़ा फर्क है। यह फर्क स्पीड और स्केल का है। पीएम मोदी ने कहा कि बाली आने के बाद हर भारतीय को एक अलग अनुभूति होती है और मैं वही महसूस कर रहा हूं। जिस जगह के साथ भारत का हजारों साल का रिश्ता रहा हो,जिसके बारे में सुनते रहे हों। पीढ़ी दर पीढ़ी उस परंपरा को आगे बढ़ाया पर सभी ओझल नहीं होने दिया। आइए एक नजर डालते हैं पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातों पर।
- आज जिस समय मैं आपसे बात कर रहा हूं इसी पल बाली से 1500 किमी की दूरी पर कटक शहर में महनदी के किनारे बाली यात्रा का महोत्सव चल रहा है। यह महोत्सव भारत और इंडोनेशिया के बीच हजारों वर्षों के व्यापार संबंधों का जश्न है। कोरोना के चलते कुछ रुकावट आई थी लेकिन अब बाली यात्रा महोत्सव पूरी भव्यता के साथ मनाया जा रहा है।
- भारत और इंडोनेशिया 21 वीं सदी में एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। इंडोनेशिया ने भारत से आए हुए लोगों को प्यार से स्वीकार किया। उन्हें अपने सामाज में शामिल किया। भारत और इंडोनिशिया का साथ सिर्फ सुख का नहीं है। हम सुख-दुख में एक दूसरे का साथ देने वाले हैं। जब 2018 में इंडोनेशिया में बड़ा भूकंप आया तो भारत ने तुरंत ऑपरशन समुद्र मैत्री शुरू किया था।
- बाली की यह भूमि महर्षि मार्कन्डेय और महर्षि अगस्त्य के तप से पवित्र है। भारत में अगर हिमालय है तो बाली में आगुंग पर्वत है। भारत में अगर गंगा है तो बाली में तीर्था गंगा है। हम भी भारत में हर शुभ कार्य का श्रीगणेश करते हैं और बाली में भी घर-घर श्रीगणेश विराजमान हैं।
- भारत की प्रतिभा, भारत की टेक्नोलॉजी, भारत का इनोवेशन, भारत का उद्योग इन सब ने दुनिया में अपनी एक पहचान बनाई है। आज दुनिया की बहुत सी बड़ी कंपनियां ऐसी हैं जिनके सीईऔओ भारत के हैं। आज दुनिया के 10 यूनिकॉर्न बनते हैं तो उनमें से एक भारत का होता है।
- आज भारत स्मार्ट फोन डेटा के उपभोग में दुनिया में नंबर-1 है। आज भारत कितनी ही दवाइयों की सप्लाई में, अनेक वैक्सीन बनाने में दुनिया में नंबर-1 है। 2014 के पहले और 2014 के बाद के भारत में बहुत बड़ा फर्क है, ये बहुत बड़ा फर्क मोदी नहीं है। ये बहुत बड़ा फर्क है स्पीड और स्केल में।
- 21 वीं सदी में दुनिया की भारत से जो अपेक्षाएं और आशाएं हैं भारत उन्हें अपनी जिम्मेदारी के रूप में देखता है। आज जब भारत आत्मनिर्भर भारत का विजन सामने रखता है तो उसमें ग्लोबल गुड की भावना भी समाहित है।
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