पेशावर: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की खैबर पख्तूनख्वा में वापसी और इसके तेजी से बढ़ते नियंत्रण ने पाकिस्तान के लिए तबाही की शुरूआत कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान के साथ लगती अपने देश की पश्चिमी सीमाओं पर तालिबान की बढ़ती दखल को रोकने में पाकिस्तानी सेना भी कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रही है। दरअसल, अब तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए पाकिस्तान की आर्मी को पहले की तरह अमेरिका और अन्य देशों से ‘डॉलर’ नहीं मिल रहे, और यही वजह है कि अब यहां हालत बदले हुए हैं।
देश के दूसरे हिस्सों की तरफ होगा टीटीपी का रुख
खैबर पख्तूनख्वा में TTP की मजबूत होती पकड़ पाकिस्तान के लिए तबाही की वजह बन सकती है। माना जा रहा है कि एक बार खैबर पख्तूनख्वा में मजबूत होने के बाद टीटीपी देश के दूसरे हिस्सों का रुख करेगा। TTP इस इलाके में जमकर जबरन वसूली कर रही है और पहले ही खराब आर्थिक हालात से जूझ रहे पाकिस्तानियों के लिए कंगाली में आटा गीला होने वाली स्थिति हो जाती है। हालांकि TTP का कहना है कि कुछ लोग उसके नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं और ऐसी किसी भी गतिविधि के बारे में सूचना मांगी है।
Image Source : APपाकिस्तानी सेना में TTP से लड़ने की कोई खास दिलचस्पी नजर नहीं आ रही।
‘जरूरत पड़ी तो टीटीपी से पूरी ताकत से निपटा जाएगा’
तालिबान की जबरन वसूली में जबरदस्त बढ़ोतरी के बावजूद सरकार इस तरफ कोई तवज्जो नहीं दे रही है। इस बीच TTP की वापसी पर पाकिस्तान की आर्मी ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो TTP से पूरी ताकत से निपटा जाएगा। हालांकि पाकिस्तानी आर्मी की बात पर खैबर पख्तूनख्वा में विपक्षी नेताओं को भी भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि तालिबान खैबर पख्तूनख्वा पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है और उनकी तरफ से इलाके के हर ऐसे शख्स के लिए धमकी भरे फोन आ रहे हैं जिसके पास थोड़ा-बहुत भी पैसा है।
खैबर पख्तूनख्वा में खराब होते जा रहे हालात
बता दें कि खैबर पख्तूनख्वा में जून के बाद से लगातार धरना-प्रदर्शन का दौर चल रहा है। पाकिस्तानी सेना लगातार कह रही है कि वह लोगों को तालिबान के आतंकवादियों से बचाने के लिए हर कदम उठाएगी, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है। वहीं, लोगों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार में इन आतंकियों के खिलाफ लड़ने के लिए इच्छाशक्ति की कमी है।
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