पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से वहां के लोगों में खलबली मच गई है। दरअसल पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सैन्य अदालतों में आम नागरिकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की बुधवार को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही न्यायालय ने 23 अक्टूबर के सर्वसम्मत से लिए गए अपने उस फैसले पर सशर्त रोक लगा दी, जिसमें उसने सैन्य अदालतों को आम नागरिकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पाकिस्तानियों पर बड़ी आफत आ गिरी है। पाकिस्तान की उनकी अपनी ही सरकार ने अपने देश के कुछ लोगों पर सैन्य अदालत में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।
न्यायालय की छह सदस्यीय पीठ ने अपने पिछले आदेश को चुनौती देने वाली ‘इंट्रा-कोर्ट अपील’ (आईसीए) की याचिका पर 5-1 के बहुमत के साथ यह फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान, अटॉर्नी जनरल मंसूर अवान ने अदालत से संदिग्ध नागरिकों के खिलाफ सैन्य अदालत में मुकदमे फिर से शुरू करने की सशर्त अनुमति मांगी। शीर्ष अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए अनुमति प्रदान की। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि सैन्य अदालतें संदिग्ध के खिलाफ अंतिम फैसला नहीं सुनाएंगी। अदालत ने कहा कि अंतिम फैसला उच्चतम न्यायालय के आदेश पर आधारित होगा।
इमरान खान की गिरफ्तारी के दिन हुआ था बवाल
उल्लेखनीय है कि 23 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाया था कि 9 मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों में कथित भूमिका के लिए नागरिकों पर सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाना संविधान के दायरे में नहीं आता। उच्चतम न्यायालय के ताजा फैसले के बाद सैन्य अधिकारियों को नौ मई को सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों में शामिल सौ से अधिक नागरिकों पर मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है। (भाषा)
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