पाकिस्तान में नई सरकार के गठन का रास्ता साफ, शहबाज होंगे पीएम, पीपीपी और पीएमएल-एन में समझौता
पीएमएल-एन के नेता शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री होंगे। देश की दो मुख्य पार्टियां पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच समझौता हो गया है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आम चुनाव परिणामों के बाद सरकार गठन को लेकर छाए सियासी बादल अब छंट गए हैं। पाकिस्तान की दो प्रमुख पार्टियां, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच समझौता हो गया है। शहबाज शरीफ इस गठबंधन के प्रधानमंत्री होंगे। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार पीपीपी और पीएमएल-एन के शीर्ष नेताओं ने पुष्टि की कि वे देश के व्यापक हित में सरकार बनाने गठबंधन में शामिल हो रहे हैं।
आसिफ अली जरदारी होंगे राष्ट्रपति उम्मीदवार
पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने पुष्टि की कि शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री पद के लिए गठबंधन के उम्मीदवार होंगे और आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार होंगे। बिलावल भुट्टो-जरदारी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के पास अब पूरी संख्या है और हम अगली सरकार बनाने की स्थिति में हैं।" उन्होंने कहा कि दोनों दल देश को मौजूदा संकट से बाहर निकालने के लिए अगली सरकार बनाएंगे और उम्मीद जताई कि वे ऐसा करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा, "हम इस बात पर सहमत हो गए हैं कि हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए पाकिस्तान की सफलता सुनिश्चित करनी है।"
बिलावल की पार्टी ने किसी मंत्रालय की मांग नहीं की है-शहबाज
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या पीपीपी को कोई विभाग मिल रहा है, शहबाज ने कहा कि बिलावल के नेतृत्व वाली पार्टी ने पहले दिन से किसी मंत्रालय की मांग नहीं की है। उन्होंने कहा, "दो पक्षों के बीच बातचीत होती है और मुद्दों को आपसी बातचीत के माध्यम से हल किया जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम उनकी मांगों को स्वीकार करते हैं या वे हमारी मांगों को स्वीकार करते हैं। उनके अपने विचार हैं लेकिन सहमति के दायरे तक पहुंचना ही वास्तविक राजनीतिक सफलता है।
आम चुनावों में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला
बता दें कि 8 फरवरी को हुए चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को साधारण बहुमत नहीं मिला। इसके बाद से अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई थी। बाद में इन दोनों पार्टियों को सत्ता में आने के लिए हाथ मिलाने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन समझौते में देरी ने सवाल खड़े कर दिए थे। आम चुनावों में पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने सबसे ज्यादा 92 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पीएमएल-एन को 79 और पीपीपी को 54 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। (इनपुट-ANI)