पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बृहस्पतिवार को नेशनल असेंबली में विश्वासमत हासिल करके सबको चौंका दिया है। दरअसल सरकार और शीर्ष न्यायपालिका में बढ़ते टकराव के बीच चौंकाने वाले एक घटनाक्रम के तहत 180 सांसदों ने शरीफ के नेतृत्व में पूर्ण भरोसा जताया। इससे पूर्व पीएम इमरान खान भी हैरान हैं। शहबाज को विश्वासमत हासिल करने के लिए शरीफ को केवल 172 वोट की जरूरत थी। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने निचले सदन में प्रधानमंत्री शरीफ के नेतृत्व में पूर्ण विश्वास को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव को 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 180 सांसदों का समर्थन मिला।
पिछले साल अप्रैल में जब शरीफ प्रधानमंत्री चुने गए थे, तब उन्हें 174 सांसदों का समर्थन हासिल था। प्रधानमंत्री शरीफ ने बाद में सदन को संबोधित किया और उन पर विश्वास जताने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया। हालांकि, इसके पहले सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने सोमवार को उन खबरों को खारिज कर दिया था कि शीर्ष न्यायपालिका के साथ विवाद के बीच प्रधानमंत्री शरीफ संसद में विश्वास मत हासिल करेंगे। पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में चुनाव कराने के लिए पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ईसीपी) को धन मुहैया कराने की खातिर सरकार द्वारा पेश किए गए धन विधेयक को नेशनल असेंबली द्वारा खारिज किए जाने के बाद शरीफ के नये सिरे से विश्वास मत हासिल करने की अटकलें लगाई जा रही थीं।
अगस्त में नेशनल असेंबली के होंगे 5 वर्ष पूरे
नेशनल असेंबली इस साल अगस्त में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। संविधान के अनुसार, निचले सदन के विघटन के 90 दिनों के भीतर चुनाव होंगे। इसका मतलब है कि चुनाव अक्टूबर के मध्य तक होना चाहिए। पाकिस्तान में पिछला आम चुनाव जुलाई 2018 में हुआ था। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव कराने के लिए दबाव बना रही है। लेकिन सरकार देशभर में एक साथ चुनाव कराने के अपने रुख पर कायम है।
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