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Hindi News विदेश एशिया पाकिस्तान की खस्ता हालत का एक और सबूत, खड़े-खड़े कूड़ा बन गए PIA के 34 में से 17 विमान

पाकिस्तान की खस्ता हालत का एक और सबूत, खड़े-खड़े कूड़ा बन गए PIA के 34 में से 17 विमान

गरीबी में आटा गीला...मौजूदा समय में पाकिस्तान के संदर्भ में यह कहावत बिलकुल सटीक बैठती है। एक तरफ जहां मुल्क की आर्थिक हालत खराब है तो वहीं अब दूसरी तरफ पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस को लेकर बुरी खबर सामने आई है।

Pakistan International Airlines- India TV Hindi Image Source : FILE Pakistan International Airlines

कराची: पाकिस्तान ही हालत खराब है। एक तरफ महंगाई और भुखमरी से जनता बेहाल है तो वहीं मुल्क आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है। अब ऐसे में पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस को लेकर भी बुरी खबर सामने आई है। दरअसल, आवश्यक कलपुर्जों और अन्य उपकरणों की कमी के कारण पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) के 34 विमानों में से 17 को उड़ान भरने से रोक दिया गया है, जिससे वो सेवा से बाहर हो गए हैं। एयरलाइंस के एक सूत्र ने कहा, “स्थिति यह है कि पीआईए बेड़े के 17 विमान सेवा से बाहर हैं।” वर्तमान में एयरलाइंस के बोइंग 777 बेड़े में 12 में से सात विमान खड़े हैं। इसके अलावा, 17 एयरबस ए320 विमानों में से सात भी उड़ान भरने लायक नहीं हैं। 

पैसों की कमी है बड़ी समस्या

पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के छोटे एटीआर विमान भी इससे अछूते नहीं हैं, वर्तमान में पांच में से केवल दो विमान ही काम कर रहे हैं। उड़ान से बाहर रखे गए विमानों में इंजन, लैंडिंग गियर, सहायक विद्युत इकाइयां (एपीयू) और अन्य महत्वपूर्ण भागों सहित आवश्यक घटकों की कमी है। एयरलाइंस के सूत्रों ने कहा कि धन की कमी और संबंधित मंत्रालयों से उचित मंजूरी ना मिलना समस्या का मुख्य कारण है।  

Image Source : file apPakistan International Airlines

और खराब हो सकती है हालत

सूत्रों ने बताया कि हालांकि अभी भी इसका आकलन करना जल्दबाजी होगी, लेकिन यदि वर्तमान स्थिति बनी रहती है, तो यूरोप के लिए सेवाओं की नियोजित बहाली में देरी हो सकती है, जो पेरिस के लिए दो साप्ताहिक उड़ानों के साथ शुरू होने वाली है। इस कमी ने सरकार के निजीकरण आयोग की प्रक्रिया को भी प्रभावित किया है। इसी साल सरकार ने कर्ज में डूबी एयरलाइंस में 60 प्रतिशत शेयरों का निजीकरण करने का असफल प्रयास किया था, लेकिन इसके लिए केवल 10 अरब पाकिस्तानी रुपये की बोली ही मिल सकी थी, जो आरक्षित मूल्य से काफी कम थी। निजीकरण आयोग ने इसे खारिज कर दिया और नए सिरे से बोली लगाने का फैसला किया है। (भाषा)

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