Pakistan News: कई महीनों से सियासी उठापटक झेल रहा पाकिस्तान अब कंगाली के कगार पर आ गया है। एक तरफ वह विदेशी कर्ज के नीचे दबा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर उसका विदेश मुद्रा भंडार अपने तीन वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। दरअसल, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग तीन वर्षों में अपने न्यूनतम स्तर पर गिरकर 5 अगस्त तक 7.83 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है, जो इससे एक सप्ताह पहले कर्ज भुगतान पर 8.385 अरब डॉलर था। स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह जानकारी केंद्रीय बैंक के आंकड़ों से मिली है।
हर तरफ गिरावट है
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा रखे गए विदेशी भंडार में ऋण भुगतान में वृद्धि और बाहरी वित्तपोषण की कमी के कारण साप्ताहिक आधार पर 55.5 करोड़ डॉलर या 6.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर 2019 के बाद से भंडार अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है। पाकिस्तान का कुल लिक्विड विदेशी भंडार 64.8 करोड़ डॉलर से 4.6 प्रतिशत गिरकर 13.561 अरब डॉलर रह गया है। जबकि वाणिज्यिक बैंकों का भंडार 1.6 प्रतिशत गिरकर 5.730 अरब डॉलर हो गया है।
संकट का सामना कर रहा है पाकिस्तान
एसबीपी के पास उपलब्ध भंडार एक महीने के आयात से थोड़ा अधिक कवर करने के लिए पर्याप्त है। एसबीपी ने एक बयान में कहा कि रिवर्स में कमी बाहरी ऋण भुगतान के कारण हुई थी। केंद्रीय बैंक ने कहा, "इस महीने के अगले तीन हफ्तों के दौरान ऋण चुकौती मध्यम होने की उम्मीद है। वास्तव में, अगस्त महीने के लिए ऋण चुकौती का लगभग तीन-चौथाई पहले सप्ताह के दौरान केंद्रित था।" द न्यूज ने बताया कि ताजा विदेशी मुद्रा भंडार का यह आंकड़ा ऐसे समय पर सामने आया है, जब 6 अरब डॉलर के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्यक्रम के रुके हुए भंडार के तेजी से घटने के साथ देश कम होते जा रहे बाहरी धन जैसे संकट का सामना कर रहा है और भंडार तेजी से घट रहा है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि आईएमएफ कार्यक्रम फिर से शुरू हो गया है और घटते विदेशी भंडार को बढ़ाने में मदद करने के लिए गिरते आयात के बीच चालू खाता घाटा कम होने की उम्मीद है।
हाल ही में लिया था ये फैसला
कंगाल पाकिस्तान पर को दिवालिया होने का खतरा मंडराने लगा है। इस खतरे को भांपते हुए पाकिस्तान के संघीय मंत्रिमंडल ने उस बिल को मंजूरी दे दी है, जिसमें सरकारी संपत्तियों अब दूसरे देशों को बेची जा सकेंगी। इस बिल में सभी निर्धारित प्रक्रिया और अन्य आवश्यक नियमों से अलग हटकर सरकारी संपत्तियां दूसरे देशों में बेचने का प्रावधान किया गया है। खबर के मुताबिक सरकार ने यह फैसला देश के दिवालिया होने के खतरे को टालने के लिए लिया है।मीडिया रिपोर्ट्स क मुताबिक ‘अंतर सरकारी वाणिज्यिक हस्तांतरण अध्यादेश.2022‘ को संघीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मंजूरी दी। जानकारी के मुताबिक इस बिल में ये व्यवस्था की गई है कि सरकार की संपत्ति की हिस्सेदारी दूसरे देशों को बेचने के खिलाफ यदि किसी ने याचिका दायर भी की तो अदालत इसकी सुनवाई नहीं कर सकेगी।
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