Pakistan News: पाकिस्तान की हालत कंगाल, खाली हो रहा विदेशी मुद्रा भंडार, बढ़ा कर्ज, टूटा महंगाई का रिकॉर्ड
Pakistan News: पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 2 अरब डॉलर से अधिक गिरा है। महंगाई दर में भी 13 साल में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है।
Highlights
- महंगाई दर में 13 साल की सबसे बड़ी गिरावट
- पाकिस्तान की खराब नीतियां कंगाली के लिए जिम्मेदार
- पैसे के लिए सरकारी संपत्तियां बेचने की हद तक पहुंचा
Pakistan News: भारत के साथ ही पाकिस्तान भी अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहा है। 75 वर्ष पूरे करने पर पाकिस्तान जश्न जरूर मना रहा है, पर उसके पास ऐसा कुछ खास कारण नहीं है कि वह जश्न मना सके। वहां की जनता की महंगाई ने कमर तोड़ दी है। विदेशी मुद्र भंडार इतना कम हो गया है कि कंगाली की हालत में वह कटोरा लेकर अरब देशों और अंतरराष्ट्रीय बैंकों के आगे हाथ जोड़ता नजर आ रहा है। हालात यह हैं कि वहां चाहे इमरान खान पीएम रहे हों या वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हों, पाकिस्तान हर कार्यकाल में रसातल में ही गया है। शहबाज शरीफ को तो अरब देशों ने लोन देने से ही मना कर दिया, तब जाकर खुद पाकिस्तान के जनरल बाजवा ने मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें भी कोरे आश्वासन ही मिले। अभी तक देश कंगाली की हालत, कमरतोड़ महंगाई और गिरते विदेशी मुद्रा भंडार से चिंतित है। हालत यह है कि उसकी अर्थव्यवस्था कर्ज पर ही चल रही है।
महंगाई दर में 13 साल की सबसे बड़ी गिरावट
ताजा आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 2 अरब डॉलर से अधिक गिरा है। अहम बात यह है कि विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के पहले सप्ताह में 14 अरब डॉलर के स्तर से भी नीचे जा चुका है। महंगाई दर में भी 13 साल में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। इस साल जून माह में महंगाई दर 21.3 फीसदी पहुंच गई थी। इससे पहले 2008 के दिसंबर माह में पाकिस्तान में महंगाई दर 23.3 फीसदी रही थी। इस समय पाकिस्तान को 39.58 अरब डॉलर का कारोबार घाटा हो रहा है। हालात ऐसे हैं कि विदेशी मुद्रा खत्म हो रही है। लेकिन आयात बिल बढ़े हैं।
पाक की खस्ता हालत के लिए क्या बातें हैं जिम्मेदार?
पाकिस्तान की खराब नीतियां और देश को साथ लेकर चलने की बजाय हुक्मरानों द्वारा 'अपनी' और 'अपने' लोगों की झोलियां भरना, राजनीतिक अस्थिरता और लोकतंत्र की बजाय सैन्य ताकत से सत्ता का निर्धारण, ये ऐसे अहम कारण हैं जो पाकिस्तान को बर्बादी की राह पर ले गए। आजादी के बाद से अब तक पाकिस्तान में एक भी सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी है। इस बात से साबित होता है कि इस देश में आतंकियों को पनाह मिल जाती है। लेकिन स्थायित्व के साथ विकास, आर्थिक तरक्की ये सबकुछ पीछे छूट जाता है।
पाकिस्तान में कमरतोड़ महंगाई से हाहाकार
पाकिस्तान में महंगाई किस कदर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस समय एक लीटर पेट्रोल के लिए वहां 248 रुपए देना पड़ रहे हैं। वहीं डीजल के भाव 263 रुपए प्रति लीटर है।
पाकिस्तान की निगाहें लगी हैं मुद्राकोष पर
कंगाल पाकिस्तान की निगाहें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ से लगी हुई हैं। पाकिस्तान को उम्मीद है वहां से 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता मिल जाएगी, लेकिन ये पैकेज भी तभी मिलेगा, जब वह इसकी शर्तों पर खरा उतरे। इन शर्तों को पूरा करना भी पाकिस्तानक के लिए मुश्किल हो रहा है।
पैसे के लिए सरकारी संपत्तियां बेचने की हद तक पहुंचा
कंगाल होने के खतरे को भांपते हुए पाकिस्तान के संघीय मंत्रिमंडल ने पिछले दिनों उस बिल को मंजूरी दे दी है, जिसमें सरकारी संपत्तियों अब दूसरे देशों को बेची जा सकेंगी। इस बिल में सभी निर्धारित प्रक्रिया और अन्य आवश्यक नियमों से अलग हटकर सरकारी संपत्तियां दूसरे देशों में बेचने का प्रावधान किया गया है। यह फैसला देश के दिवालिया होने के खतरे को टालने के लिए लिया है। जानकारी के मुताबिक इस बिल में ये व्यवस्था की गई है कि सरकार की संपत्ति की हिस्सेदारी दूसरे देशों को बेचने के खिलाफ यदि किसी ने याचिका दायर भी की तो अदालत इसकी सुनवाई नहीं कर सकेगी।
पाक इकोनॉमिस्ट दे चुके हैं चेतावनी
पाकिस्तानी मूल के टॉप इकोनॉमिस्ट आतिफ मियां ने हाल के समय में देश की स्थिति को लेकर बड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी रुपए की कीमत गिरने के बाद स्थिति और बिगड़ने वाली है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी रुपए डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी नीचे गिर गया। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती जो पाकिस्तान के सामने है, वो है विश्वसनीयता के साथ निवेशकों और जनता को वापस लाना। उन्होंने लिखा है कि विदेशों की दया पर निर्भर पाकिस्तान सबकुछ खो चुका है। सरकारें सत्ता बचाने या नई सरकार के सामने आर्थिक संकट खड़ा करने के प्रयासों के बीच इकोनॉमिस्ट कह रहे हैं कि राजनीतिक तबका इस पाप का सबसे बड़ा भागीदार है। देश में ऊर्जा से लेकर दवाएं यहां तक कि लिए जरूरी खाद्यान्न तक विदेशी मुद्रा खर्च करके बाहर से बुलाना पड़ रहा है।