Pakistan News: आर्थिक संकट एक देश को किस गर्त में धकेल सकता है इसका जीवंत उदाहरण है हमारा पड़ोसी देश श्रीलंका। यहां जिस तरह से आर्थिक आपदा ने इस देश की आवाम को अपनी चपेट में लिया है, तमाम देश इससे एक बड़ा सबक ले सकते हैं। लेकिन इस सबके बीच पहले से ही कई तरह की अंतरराष्ट्रीय पाबंदियां झेल रहा पाकिस्तान विशेष चिंता में हैं। पाकिस्तानियों को डर है कि कहीं उनकी भी हालत श्रीलंका जैसी न हो जाए। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस बात पर एक मौन सहमति है कि नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की हालत श्रीलंका जैसी नहीं होने दी जाएगी, एक मीडिया रिपोर्ट में ये बात कही गई।
पाकिस्तान को रोके गए कर्ज की हुई बहाली
कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ एक आरंभिक समझौता किया था जिसके तहत उसके लिए 1.17 अरब डॉलर की किस्त जारी की जाएगी, जिसे इस साल की शुरुआत में रोक दिया गया था। आईएएफ ने गुरुवार को कहा था कि पाकिस्तान के साथ एक समझौता हुआ है जिसके तहत रोके गए कर्ज की बहाली की जाएगी, इसके साथ ही कर्ज राशि छह अरब डॉलर से बढ़ाकर सात अरब डॉलर भी कर दी गई। इस आर्थिक पैकेज से सरकार को आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिलेगी, वहीं अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान भी पाकिस्तान के साथ सरोकार रखने को प्रेरित होंगे।
क्या कह रहा है अंतरराष्ट्रीय समुदाय?
एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक राजनायिक मार्ग से हुई चर्चाओं में पता चला कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय IMF के साथ पूरे समय खड़ा रहा और सरकार को उसके वादों से मुकरने का मौका नहीं दिया गया। ऐसा उसे किसी भी तरह की नकद मदद नहीं देकर किया गया। राजनयिक सूत्रों के हवाले से इस खबर में कहा गया, "पाकिस्तान के सभी मित्रों ने उससे आईएमएफ के साथ मिलकर काम करने को कहा और आईएमएफ के अधिकारी पाकिस्तान के साथ चल रही वार्ता के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लगातार जानकारी दे रहे थे।"
"पाकिस्तान की हालत श्रीलंका जैसी नहीं होने दी जाएगी"
इस रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से कहा है कि पहले वह IMF के बताए रास्ते पर चले। सऊदी अरब, कतर और यूएई से नकद मदद न मिलना पाकिस्तान के लिए हैरानी की बात थी। खबर में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में इस बात को लेकर एक सहमति कि यदि पाकिस्तान अपनी बात पर कायम रहता है तो उसकी हालत श्रीलंका जैसी नहीं होने दी जाएगी।
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