पाकिस्तान की सेना ने रविवार को कहा कि देश में उत्पन्न राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति से उसका ‘कोई लेना देना नहीं’ है। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने यह टिप्पणी अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किये जाने और प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली को भंग करने की पृष्ठभूमि में एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए की।
इफ्तिखार ने कहा, ‘नेशनल असेंबली में आज जो भी हुआ, उससे सेना का कोई लेना देना नहीं है।’ उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद से अबतक 75 साल की अवधि में आधे से अधिक समय तक यहां की सेना ने देश पर राज किया है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने गत एक हफ्ते में कम से कम दो बार प्रधानमंत्री खान से मुलाकात की है।
अविश्वास प्रस्ताव को किया खारिज- इससे पहले रविवार को नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री को हटाने के लिए संयुक्त रूप से पेश अविश्वास प्रस्ताव को संविधान के अनुच्छेद-5 के तहत ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए खारिज कर दिया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री को संसद के निचले सदन को भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजने का समय मिल गया।
पाकिस्तान में मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत आठ मार्च को विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव पेश करने से हुई। हालांकि, प्राधानमंत्री ने इसपर पलटवार करते हुए कहा था कि यह चुनी हुई सरकार को सत्ता से हटाने की ‘विदेशी साजिश’ है।
प्रधानमंत्री खान के मुताबिक सेना के शीर्ष नेतृत्व ने उनसे पिछले सप्ताह मुलाकात की थी और राजनीतिक संकट के समाधान के लिए तीन विकल्प दिए थे जिनमें इस्तीफा देना, अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना या समय से पूर्व चुनाव कराने का विकल्प शामिल था।
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