पाकिस्तान में सियासी उथल-पुथल खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। रविवार को सियासी ड्रामे के बीच इमरान खान की सरकार के खिलाफ पेश हुआ अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया। दरअसल प्रधानमंत्री इमरान खान संसद नहीं पहुंचे थे और डिप्टी स्पीकर ने प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया।
इसके अलावा पाकिस्तान की नेशनल असेंबली भी भंग हो गई है। अब पाकिस्तान में 90 दिनों के भीतर चुनाव होंगे। पाकिस्तान के हालात पर नज़र रखने वाले एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर पाकिस्तान में चुनाव होते हैं तो इमरान खान अपने ही जाल में फंसते हुए नज़र आ रहे हैं। क्योंकि पूरे मुल्क में बेरोजगारी और महंगाई अपने चरम पर है।
नवाज़ शरीफ को होगा फायदा- साथ ही इमरान खान अपना आधे से ज्यादा कार्यकाल भी पूरा कर चुके हैं। यानी इमरान खान के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी भी है। अगर ऐसे मौके पर चुनाव होते हैं तो नवाज शरीफ की पार्टी को बड़ा फायदा होता दिख रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे चल रहे शाहबाज शरीफ कई बार पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनकी गिनती पाकिस्तान के काफी मंझे हुए नेताओं में होती है।
दूसरे विपक्षी नेता के रूप में बिलावल भुट्टो हैं। सिंध में पहले से उनकी सरकार है और पाकिस्तान के अन्य क्षेत्रों में उनकी पार्टी का दबदबा भी कम है। जबकि PMLN के साथ ऐसा नहीं है। अब इमरान खान के सामने दो ही रास्ते हैं या तो खुद सरेंडर कर दें और बचा हुआ कार्यकाल विपक्ष को सौंप दें। नहीं तो चुनाव में भी उनके मुंह की खानी पड़ सकती है।
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