पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को सीमा पार से उनके देश में हमले करने से रोकने में नाकाम रहने पर निराशा जताई और कहा कि उनका मुल्क अफगानिस्तान के तालिबान शासकों से निपटने के लिए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर सकता है। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम में बिलावल ने कहा, ‘पाकिस्तान सीमा पार से टीटीपी या बीएलए (बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी) जैसे अन्य आतंकवादी समूहों के आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।’
पाकिस्तनी मीडिया आई खबर के अनुसार बिलावल के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान के तालिबान शासकों से निपटने के लिए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर सकता है, लेकिन वह काबुल से नाता तोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता। पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) पर 16 दिसंबर 2014 को हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के सम्मान में आयोजित एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बिलावल ने कहा कि काबुल के तालिबान शासक टीटीपी को सीमा पार आतंकवादी हमले करने से रोकने की पाकिस्तान की ‘उम्मीदों’ पर खरे नहीं उतरे।
अफगानिस्तान से आए टीटीपी आतंकवादियों ने 149 लोगों की हत्या कर दी थी, जिसमें 132 स्कूली बच्चे शामिल थे। यह पाकिस्तान में सबसे वीभत्स आतंकवादी घटनाओं में से एक है। बिलावल ने याद किया कि अफगान तालिबान ने दोहा में ऐसा करने का संकल्प लिया था, जहां उन्होंने अमेरिका के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा, ‘लेकिन इस ओर प्रयास नाकाम दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि टीटीपी ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी है। उसके हमले तेज हो गए हैं।’
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