इस्लामाबाद: रूस-युक्रेन युद्ध के बाद से कई देश रूस से दूरी बना चुके हैं। उन्होंने सभी तरह के संबंध तोड़ लिए हैं। हालांकि इस दौरान कई एशियाई देशों से रूस के संबंध बने रहे। जिसमें भारत, पाकिस्तान और चीन प्रमुख हैं। भारत के रूस के साथ राजनयिक और व्यापारिक रिश्ते पहले की ही तरह मजबूत बने हुए हैं, लेकिन इस दौरान रूस के विदेश मंत्री का एक बयान भारत की टेंशन बढ़ा सकता है।
पाकिस्तान-रूस के राजनयिक संबंधो को हुए 75 वर्ष
दरअसल मास्को और इस्लामाबाद के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक वीडियो बयान जारी कर दक्षिण एशियाई राष्ट्र के साथ सहयोग बढ़ाने की अपने देश की इच्छा व्यक्त की है। इस दौरान रूस ने पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने और इन्हें पहले से और भी ज्यादा मजबूत करने की इच्छा जताई है। इस बीच रूस से कच्चे तेल की पहली खेप पिछले हफ्ते कराची बंदरगाह पहुंच गई।
दोनों देशों ने किए एक ऐतिहासिक समझौते पर साइन
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यूनके अनुसार अप्रैल में दोनों देशों ने एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने पाकिस्तान को पिछले हफ्ते पहला रूसी तेल शिपमेंट प्राप्त करने की अनुमति दी। रूसी तेल पाकिस्तान के लिए फायदेमंद हो सकता है या नहीं, इसका आकलन करने के लिए पहली खेप पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। बताया गया है कि पहली खेप को रियायती दर पर आयात किया गया था।
'रूस हमेशा से पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने में रुचि रखता है'
रुसी विदेश मंत्री लावरोव ने एक बयान में कहा, हम जानते हैं कि पाकिस्तानी लोगों की रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति कितनी दिलचस्पी और सम्मान है। हम इसकी बहुत सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 75 साल में द्विपक्षीय संबंधों में अलग-अलग समय रहे हैं। हालांकि, उन्होंने कहा, रूस हमेशा से पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने में रुचि रखता था, और किसी भी परिस्थिति में अपनी प्रतिबद्धताओं को नहीं छोड़ा है।
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