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Pakistan & FATF: टेरर फंडिंग पर शिकंजे की वजह से नहीं, अमेरिका की इस गुप्त चाल के चलते पाकिस्तान FATF से निकला बाहर

Pakistan & FATF: दुनिया में टेरर फंडिंग और आतंकवाद के सबसे बड़े हब पाकिस्तान को अब फाइनेंशियल एक्शन टास्कफोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादियों को किसी देश द्वारा फाइनेंशियल मदद दिए जाने पर एफएटीएफ कड़ी निगरानी रखता है।

Pak Out from FATF Grey List- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Pak Out from FATF Grey List

Highlights

  • FATF से बाहर निकलने के बाद पाकिस्तान को होगा आर्थिक फायदा
  • अमेरिका ने पाकिस्तान को जासूसी और चापलूसी का दिया इनाम
  • तीसरी बार एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकला पाकिस्तान

Pakistan & FATF: दुनिया में टेरर फंडिंग और आतंकवाद के सबसे बड़े हब पाकिस्तान को अब फाइनेंशियल एक्शन टास्कफोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादियों को किसी देश द्वारा फाइनेंशियल मदद दिए जाने पर एफएटीएफ कड़ी निगरानी रखता है। साथ ही उस देश पर कई तरह के अन्य कड़े आर्थिक प्रतिबंध भी लग जाते हैं। पाकिस्तान पर मनीलांड्रिंग के जरिए आतंकवादियों को टेरर फंडिंग करने का आरोप था। इसके बाद इसे 2018 में इस देश को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। मगर अब अमेरिका की मेहरबानी से टेरर फंडिंग और आतंकवाद पर बगैर कोई शिकंजा कसे पाकिस्तान को इस सूची से बाहर निकाल दिया गया है। इससे पाकिस्तान में जश्न है। वहीं भारत इसका विरोध कर रहा है।

पाकिस्तान को एफएटीएफ की इस ग्रे लिस्ट से बाहर निकाले जाने के पीछे अमेरिका का अपना हित है। जबकि नियमों के मुताबिक एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से केवल उसी देश को निकाला जा सकता है, जो टेरर फंडिंग और आतंकवाद पर पूरी तरह से शिकंजा कस सके। साथ ही साथ एफएटीएफ की अन्य सभी नियम-शर्तों पर खरा उतर सके। मगर यह सब किए बिना ही पाकिस्तान को अमेरिका की कृपादृष्टि के चलते बाहर निकाल दिया गया है। इससे यह बात भी साबित हो चुकी है कि अंतरराष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ भी अमेरिकी दबाव में काम कर रही है। वह पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार भी बताते हैं कि पाकिस्तान ने टेरर फंडिंग और आतंकवाद व मनी लांड्रिग पर कोई ऐसा सराहनीय काम नहीं किया है, जिससे कि उसे यह इनाम दिया जाता।

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पाकिस्तान को अमेरिका ने दिया  इनाम
विशेषज्ञों के अनुसार अभी भी पाकिस्तान में बैठे कई आतंकी सरगना पूरी दुनिया में टेरर फंडिंग का नेटवर्क चला रहे हैं और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। पाकिस्तान उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसके बावजूद अमेरिका ने पाकिस्तान को जासूसी और चापलूसी का बड़ा इनाम दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मोहम्मद महमूद आलम कहते हैं कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलवाने के लिए निश्चित रूप से अमेरिका ने लॉबिंग की है। इससे पाकिस्तान को तो बड़ा फायदा हुआ ही है, लेकिन इसमें अमेरिका का और भी बड़ा हित छुपा है। पूरी दुनिया जानती है कि अमेरिका के बाद रूस और चीन दुनिया के सुपर पॉवर हैं और ये दोनों ही देश उसके कट्टर दुश्मन भी हैं। अब रूस के खिलाफ जासूसी के लिए उसे साउथ ईस्ट एशिया में कोई एक ऐसा देश चाहिए जो अमेरिका की मदद कर सके। अमेरिका को पता है कि भारत रूस का पक्का दोस्त है और वह दुनिया का प्रभावशाली मुल्क है। इसलिए वह अमेरिका के कहने से चलने वाला नहीं है। इसलिए उसने पाकिस्तान को आसान मोहरा बनाया है। पाकिस्तान अमेरिका के लिए रूस की जासूसी कर सकता है। साथ ही जरूरत पड़ने पर अमेरिका को अपना एयरबेस भी दे सकता है। जैसा कि वह अफगानिस्तान में अमेरिका के लिए करता रहा है। उसने तालिबान और अलजवाहिरी के खिलाफ जासूसी कर अमेरिका की मदद की। अलजवाहिरी को मरवाने के लिए अपना एयरबेस भी दिया।

चीन के बारे में भी जानकारी दे सकता है पाकिस्तान
मो. महमूद आलम कहते हैं कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत इस वक्त खस्ता है। अमेरिका को पता है कि पाकिस्तान ऐसा मुल्क है कि उसे पैसे देकर कोई भी काम करवा लो। इसीलिए उसने भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को एफ-16 के रख-रखाव के नाम पर 45 लाख करोड़ डॉलर दिए। बाद में सफाई दी कि उसने पाकिस्तान को यह रकम एफ-16 के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए भी दिया है। जबकि पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान इस पैसे का क्या करेगा और आतंकवाद से वह कितना लड़ेगा। इधर चीन की आर्थिक हालत भी खस्ता है। चीन का पाकिस्तान अच्छा दोस्त है, लेकिन ड्रैगन खुद उतना मजबूत नहीं होने से उसकी मदद नहीं कर पा रहा। ऐसे में पाकिस्तान अमेरिका की ओर देख रहा है। अमेरिका के अलावा दुनिया का और कोई देश उसकी मदद नहीं करेगा। क्योंकि इसके लिए न तो पाकिस्तान की कोई क्रेडिबिलिटी है और न ही उसके रिश्ते किसी देश के साथ अच्छे हैं। इसलिए अमेरिका से लिए पैसों के बदले पाकिस्तान जरूरत पड़ने पर अपने दोस्त चीन की भी जासूसी कर सकता है।

 

वह अमेरिका की चीन के खिलाफ मदद कर सकता है। अमेरिका के लिए चीन, रूस, अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ पाकिस्तान से अच्छा कोई बेस नहीं है। इसलिए उसने पाक को बाहर निकलवाने में मदद की है। पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति भी कुछ ऐसी है कि अमेरिका की खुफिया सेंट्रल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (सीआइए) को यह बेहतर बेस लगता है।

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गैस और तेल पर पश्चिमी देशों का डबल स्टैंडर्ड
मो. महमूद आलम कहते हैं कि भारत ने जब साफ कह दिया कि रूस से वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के अनुसार तेल और गैस लेता रहेगा तो अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने इसका विरोध किया, लेकिन पश्चिमी देशों का इस मामले में डबल स्टैंडर्ड है। क्योंकि वह तेल के लिए भारत को रोक तो रहे हैं, लेकिन खुद गैस ले रहे हैं। क्योंकि इसके बगैर उनका काम चलने वाला नहीं है।

क्या होता है FATF
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक इंटरगवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन है। G-7 देशों की अगुवाई में 1989 में इसकी नींव रखी गई थी। FATF का मुख्यालय पेरिस में है। इस संगठन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए की जाने वाली मनी लॉड्रिंग और टेरर फडिंग पर नजर बनाए रखना है। इसमें कुल 39 देश और क्षेत्रीय संगठन शामिल है। इसका सदस्य भारत, अमेरिका, रुस, चीन और ब्रिटेन भी है। आपको बता दें कि 2006 में भारत आब्जर्वर के रूप में इसमें शामिल हुआ था। फिर 25 जून 2010 में भारत इसका सदस्य बन गया।

कई बार पाकिस्तान रह चुका एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में  
वर्ष 2018 से पहले पाकिस्तान को 2008 में भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। तब पाकिस्तान को टेरर फंडिंग और मनी लॉड्रिंग पर कार्रवाई करने का सख्त निर्देश दिया गया था। फिर एक साल बाद ही 2009 में पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर कर दिया गया। मगर लगातार आतंकी गतिविधियों में संलिप्ता पाए जाने पर उसे 2012 में फिर ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया। हालांकि दांव-पेंच लगाकर वह 2015 में फिर ग्रे लिस्ट से निकलने में सफल हो गया। इसके बाद जून 2018 में तीसरी बार इसे ग्रे सूची में डाला गया। इस बार अमेरिका की मेहरबानी से वह फिर बाहर आ गया, लेकिन उसे चार साल लग गए।

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एफएटीएफ से बाहर आने के बाद अब पाकिस्तान को होगा ये फायदा
FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के बाद अब पाकिस्तान को कई फायदे होंगे। पहला फायदा यह होगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश जाएगा कि उसने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की है। इससे उसकी छवि में भी सुधार होगा। यह बात अलग है कि आतंक पर कार्रवाई की बात जमीन से परे है। एफएटीएफ के प्रतिबंधों के चलते पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय स्तर आर्थिक मदद भी नहीं मिल पा रही थी। अब उसे IMF, ABD और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं से लोन और आर्थिक मदद मिल सकेगी। अभी तक यह संस्थाएं मदद नहीं करती थीं। इसलिए कोई दूसरी फाइनेंशियल बॉडी भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद नहीं कर सकती थी।

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