इस्लामाबाद: पाकिस्तान के ऊपर से सियासी संकट के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस बीच पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने कहा है कि इस साल अक्टूबर से पहले आम चुनाव संभव नहीं हैं। स्थानीय मीडिया की मानें तो देश में "स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव" सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को कम से कम सात महीने का वक्त चाहिए।
रेडियो पाकिस्तान के अनुसार, चुनाव आयोग ने बताया कि 90 दिनों में आम चुनाव आयोजित करने के अलावा परिसीमन को पूरा करने के लिए चार महीने की आवश्यकता है। ईसीपी ने कहा कि इन कारणों को ध्यान में रखते हुए इस साल अक्टूबर में ही चुनाव संभव हैं। पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने मंगलवार को कहा था कि वह तीन महीने के भीतर आम चुनाव कराने के लिए तैयार है। चुनाव आयोग ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि 90 दिनों में चुनाव संभव नहीं हैं।
बता दें कि डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा पिछले रविवार को इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के बाद, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने संसद भंग कर दी थी जिसके बाद देश में राजनीतिक उथल-पुथल एक संवैधानिक संकट में बदल गई। पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने बुधवार को कहा कि नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर द्वारा इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना "संसद पर हमला" है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष की ओर से विवादित व्यवस्था के तहत प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और राष्ट्रपति द्वारा संसद को भंग करने के अहम मामले पर बृहस्पतिवार को सुनवाई फिर से शुरू की। प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति एजाज़-उल अहसन, न्यायमूर्ति मज़हर आलम खान मियांखाइल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंदोखाइल शामिल रहे।
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