इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बावजूद गुरुवार को राष्ट्र के नाम एक संबोधन में गुरुवार को संकेत दिया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। साथ ही, जोर देते हुए कहा कि वह रविवार को होने वाले ‘अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान’ का सामना करेंगे। राष्ट्र के नाम सीधे प्रसारण वाले एक संबोधन में खान ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का चाहे जो कुछ नतीजा आए, वह और अधिक मजबूत होकर लौटेंगे। उन्होंने कहा कि मैं आखिरी बॉल तक लड़ने के लिए जाना जाता हूं, और आखिरी बॉल तक लड़ूंगा।
मैं आखिरी बॉल तक लड़ूंगा: इमरान खान
इमरान ने कहा, ‘रविवार को वोट (पाकिस्तान नेशनल असेंबली में) डाली जाएगी। इस रविवार को इस मुल्क का फैसला होने वाला है कि ये मुल्क अब किस तरफ जाएगा। क्या वही गुलामों वाली पॉलिसी, भ्रष्ट लोग जिन पर 30 साल से भ्रष्टाचार के आरोप हैं। मुझे किसी ने कहा कि आप इस्तीफा दे दीजिए। जो मेरे साथ क्रिकेट खेलते थे उन्होंने देखा है कि मैं आखिरी बॉल तक मुकाबला करता हूं। मैंने हार कभी ज़िंदगी में नहीं मानी। जो भी नतीजा होगा उससे बाद मैं और ज्यादा ताकतवर होकर सामने आऊंगा, जो भी नतीजा हो।’
‘मैं झुकूंगा नहीं, न ही अपनी कौम को झुकने दूंगा’
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इमरान ने कहा, 'जब मैंने 25 साल पहले सियासत शुरू की थी तब कहा था कि न मैं किसी के सामने झुकूंगा, न अपनी कौम को किसी के सामने झुकने दूंगा। अपनी कौम को किसी की गुलामी नहीं करने दूंगा। 8 मार्च को एक विदेशी देश से हमें मैसेज आता है जिसमें बहाना दिया जाता है कि वे पाकिस्तान पर क्यों गुस्सा हैं। और अगर इमरान खान को हटा दिया जाता है तो पाकिस्तान को माफ कर दिया जाएगा। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो पाकिस्तान को मुश्किल वक़्त का सामना करना पड़ेगा।'
इमरान को 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत
इमरान को, उन्हें प्रधानमंत्री पद से बेदखल करने की विपक्ष की कोशिश को नाकाम करने के लिए 342 सदस्यीय संसद के निचले सदन (नेशनल असेंबली) में 172 वोट की जरूरत है। हालांकि, विपक्ष ने अपने पक्ष में 175 सांसदों का समर्थन हासिल होने का दावा किया और प्रधानमंत्री से फौरन इस्तीफा देने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि कोई भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना पूर्ण कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। साथ ही, पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सत्ता से बेदखल नहीं हुआ है और खान इस चुनौती का सामना करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री हैं।
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