पाकिस्तान ने अफगान शरणार्थियों को कहा था 'बिना दस्तावेज वाले एलियन', जानें ताजा अपडेट
पाकिस्तान ने अफगानी शरणार्थियों को अफगानिस्तान वापस भेजने के लिए अभियान चला रखा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मुद्दे को लेकर बड़ी बात कही है। इस बीच पाकिस्तान की तरफ से जिस तरह के कदम उठाए गए हैं उससे अफगानी लोग डरे हुए हैं।
इस्लामाबाद: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने इस्लामाबाद की ओर से निर्वासन की घोषणा के बाद से अनिश्चितता में जी रहे लाखों अफगानी शरणार्थियों के हालात पर चर्चा के लिए मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की। पाकिस्तान ने पिछले साल इन शरणार्थियों को ‘बिना दस्तावेज वाले एलियन’ कहा था। ‘डॉन’ अखबार की खबर में कहा गया है कि ‘संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त’ (यूएनएचसीआर) के आयुक्त ग्रांडी से मुलाकात के दौरान शरीफ ने अनुरोध किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘अफगान शरणार्थियों के बोझ’ को मान्यता देनी चाहिए।
पाकिस्तान ने मांगा समर्थन
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि इस मुद्दे को हल करने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी का प्रदर्शन करना चाहिए। एनएनएचसीआर प्रमुख तीन दिवसीय यात्रा पर रविवार को पाकिस्तान पहुंचे हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) नेता ने कहा कि कई चुनौतियों के बावजूद उनके देश ने अनुकरणीय सम्मान और गरिमा के साथ अफगान शरणार्थियों को शरण दी है। शरीफ ने इस संबंध में पाकिस्तान के प्रयासों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाने में यूएनएचसीआर का समर्थन मांगा।
शहबाज शरीफ ने इस बात पर दिया जोर
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने वैश्विक शरणार्थी एजेंसी से अफगान शरणार्थियों की दशा सुधारने के वास्ते टिकाऊ समाधान तलाशने में भूमिका निभाने का आग्रह किया। अखबार में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन सामाजिक-आर्थिक और सुरक्षा खतरों के प्रति सचेत रहने की जरूरत है जिनका पाकिस्तान सामना कर रहा है।
इस तरह से जीने के मजबूर हैं अफगान शरणार्थी
बता दें कि, पिछले साल अक्टूबर से करीब छह लाख अफगान लोगों को पाकिस्तान से उनके घर वापस भेजा जा चुका है लेकिन अफगानिस्तान के कम से कम दस लाख शरणार्थी अब भी पाकिस्तान में हैं। निर्वासन की आशंका में अफगानी लोग लोग छिप-छिपकर रह रहे हैं। पाकिस्तान में रह गए ये लोग अफगानिस्तान नहीं जाना चाहते हैं। निर्वासन के डर से उन्होंने सार्वजनिक आवाजाही कम कर दी है, अपनी नौकरियां छोड़ दी हैं। यह लोग अपने घरों के आसपास भी बहुत कम निकलते हैं। उनके लिए आजीविका कमाना, किराए पर घर लेना, खाने-पीने का सामान खरीदना या इलाज कराना बहुत मुश्किल हो गया है। अफगान लोगों को डर है कि उन्हें पुलिस उन्हें पकड़ लेगी या फिर पाकिस्तानी नागरिक उनके बारे में अधिकारियों को सूचना दे देंगे। (भाषा)
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