इस्लामाबाद: मुहर्रम के मौके पर पाकिस्तान की सरकार डरी और सहमी हुई नजर आ रही है। पाकिस्तान सरकार ने शिया रैलियों पर आतंकवादी हमलों की आशंका के बीच मुहर्रम के दौरान कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरे देश में सेना तैनात करने का फैसला किया है। इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम सोमवार से शुरू हो गया है। शिया मुसलमान इस्लाम के पैगंबर के नाती हुसैन इब्न अली की शहादत की याद में महीने के पहले दस दिनों के दौरान जुलूस निकालते हैं।
अनिश्चितकाल तक होगी सेना की तैनाती
पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने प्रांतों के अनुरोध के बाद नियमित सेना की टुकड़ियों को तैनात करने का फैसला किया है। मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार, सेना की तैनाती अनिश्चितकाल तक लागू रहेगी। अधिसूचना में कहा गया है, "तैनाती वापस लेने की तिथि सभी हितधारकों के बीच आपसी परामर्श के बाद तय की जाएगी।"
सोशल मीडिया से डर गई सरकार
इस बीच यहां यह भी बता दें कि, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने मुहर्रम के दौरान 'नफरत फैलाने वाली सामग्री' को नियंत्रित करने के मकसद से सोशल मीडिया मंच 'यूट्यूब', 'व्हाट्सऐप', 'फेसबुक', 'इंस्टाग्राम' और 'टिकटॉक' पर 13 से 18 जुलाई तक बैन लगाने का निर्णय लिया है। इससे पहले पंजाब प्रांत की सरकार ने चार महीने से अधिक समय तक ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिबंध लगाया हुआ था।
'दुष्ट मीडिया' और 'डिजिटल आतंकवाद'
गौरतलब है कि, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पहले ही सोशल मीडिया को 'दुष्ट मीडिया' और 'डिजिटल आतंकवाद' करार दे चुके हैं। साथ ही उन्होंने इन सोशल मीडिया मंचों से लड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने भी हाल ही में सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था। इसका असर अब मुहर्रम के अवसर पर देखने को मिल रहा है। (भाषा)
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