तो पाकिस्तान में फिर गिरेगी सरकार? क्यों बढ़ रही राष्ट्रपति जरदारी और शहबाज में तकरार
पाकिस्तान एक बार फिर से राजनीतिक संकट की ओर जाता दिखाई दे रहा है। राष्ट्रपति जरदारी ने कहा कि हम जानते हैं कि सरकार कैसे बनाई और गिराई जाती है। हम लोगों को उनके हाल पर नहीं छोड़ेंगे।
पाकिस्तान एक लंबे अरसे से राजनीतिक और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश के प्रमुख नेता इमरान खान लंबे समय से जेल में बंद हैं। तो वहीं, हाल ही में हुए आम चुनाव के बाद शहबाज शरीफ के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनाई गई है। हालांकि, एक बार फिर से पाकिस्तान में राजनीतिक संकट की आहट सामने आने लगी है। इसका कारण है पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बीच बढ़ रही तकरार। आइए जानते हैं कि इस सियासी संकट का कारण क्या है।
IMF के कर्ज पर हो रहा विवाद
दरअसल, राष्ट्रपति जरदारी की पार्टी पाकिस्तान सरकार का अहम हिस्सा है। लेकिन अब दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया है। दरअसल, बीते साल IMF ने पाकिस्तान को तीन अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज देने के समझौते को मंजूरी दी थी। हालांकि, हाल ही में देश के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने आगाह किया है कि पाकिस्तान ने अगर टैक्स रेवेन्यू नहीं बढ़ाया तो आगे भी उसे उसे कर्ज लेने की जरूरत पड़ती रहेगी।
हम निर्णायक कदम उठाएंगे- जरदारी
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा है कि IMF का कर्ज लोगों के लिए एक परीक्षा है। उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की आलोचना भी की। जरदारी ने कहा कि हम जानते हैं कि सरकार कैसे बनाई और गिराई जाती है। हम लोगों को उनके हाल पर नहीं छोड़ेंगे। जरदारी ने कहा है कि उनकी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) निर्णायक कदम उठाएगी।
शहबाज के साथ कौन-कौन?
शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार में पीपीपीपी, मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम (पी)), पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल), इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी (आईपीपी), पाकिस्तान मुस्लिम लीग (जिया) (पीएमएल (जेड)), बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी), नेशनल पार्टी (एनपी) पार्टियां शामिल हैं।
क्या है पाकिस्तान का सियासी समीकरण?
पाकिस्तान की संसद में कुल 336 सीटें हैं। शहबाज शरीफ के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार है। हालांकि, संसद में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवार भी बड़ी संख्या में हैं। गठबंधन में अगर जरदारी की पीपीपी सबसे बड़ी सहयोगी है। ऐसे में जरदारी अगर समर्थन वापस लेते हैं तो शहबाज शरीफ की सरकार मुश्किल में आ सकती है।
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