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तीसरी बार देश की कमान संभालेंगे पुष्प कमल दहल "प्रचंड", आज लेंगे नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ

Pushpa Kamal Dahal: नेपाल के नए प्रधानमंत्री के तौर पर पुष्प कमल दबल प्रचंड को चुना गया है। वह आज तीसरी बार देश के पीएम पद को संभालने वाले हैं।

पुष्प कमल दहल प्रचंड नेपाल के पीएम पद की शपथ लेंगे- India TV Hindi Image Source : AP पुष्प कमल दहल प्रचंड नेपाल के पीएम पद की शपथ लेंगे

पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को सोमवार को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई जाएगी। एक दिन पहले ही राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया था, जिसके बाद हिमालयी राष्ट्र में चली आ रही लंबी राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त हो गई। सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष प्रचंड ने सदन के 169 सदस्यों के समर्थन से सरकार गठन का दावा पेश किया था, जिसके बाद राष्ट्रपति भंडारी ने रविवार को संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

राष्ट्रपति भंडारी सोमवार को दोपहर में शीतल निवास में आयोजित एक आधिकारिक समारोह में पूर्व गुरिल्ला नेता प्रचंड को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी, जिसके बाद वह प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगे। भारी बहुमत से प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बावजूद, प्रचंड को अब संविधान के अनुच्छेद 76 (4) के अनुसार 30 दिन के भीतर निचले सदन में विश्वास मत साबित करना होगा। संवैधानिक वकील मोहन आचार्य ने ‘काठमांडू पोस्ट’ समाचार पत्र को बताया, “गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री को यह साबित करना होगा कि उन्हें सदन में विश्वास मत हासिल है।” अगर वह सदन में विश्वास मत साबित करने में नाकाम रहते हैं तो सरकार गठन की नई प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 

देश में खत्म हुई राजनीतिक अनिश्चितता

पिछले माह हुए आम चुनावों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिल पाने के कारण देश में जारी राजनीतिक अनिश्चितता अब समाप्त हो गई है। राष्ट्रपति ने प्रतिनिधि सभा के ऐसे किसी भी सदस्य को प्रधानमंत्री पद का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित किया था, जो संविधान के अनुच्छेद 76(2) में निर्धारित दो या दो से अधिक दलों के समर्थन से बहुमत प्राप्त कर सकता हो। प्रचंड ने राष्ट्रपति द्वारा दी गई समय सीमा समाप्त होने से पहले सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत किया था। संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त होनी थी।

सूत्रों ने बताया कि रविवार को प्रचंड सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय गए और सरकार बनाने का दावा पेश किया। पूर्व प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल 'प्रचंड' के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए।

प्रचंड को मिला 168 सदस्यों का साथ

प्रचंड को 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 168 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें सीपीएन-यूएमएल के 78, सीपीएन-एमसी के 32, आरएसपी के 20, आरपीपी के 14, जेएसपी के 12, जनमत के छह, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य और तीन निर्दलीय शामिल हैं। यह आश्चर्यजनक घटनाक्रम भारत और नेपाल के बीच संबंधों की दृष्टि से शायद अच्छा न हो, क्योंकि क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर प्रचंड और उनके मुख्य समर्थक केपी शर्मा ओली के रिश्ते पहले से ही नई दिल्ली के साथ कुछ बेहतर नहीं रहे हैं। तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त हुए प्रचंड को चीन का समर्थक माना जाता है।

प्रचंड ने अतीत में कहा था कि नेपाल में ‘‘बदले हुए परिदृश्य’’ के आधार पर और 1950 की मैत्री संधि में संशोधन और कालापानी एवं सुस्ता सीमा विवादों को हल करने जैसे सभी बकाया मुद्दों के समाधान के बाद भारत के साथ एक नई समझ विकसित करने की आवश्यकता है। भारत और नेपाल के बीच 1950 की शांति और मित्रता संधि दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों का आधार बनाती है। हालांकि, प्रचंड ने हाल के वर्षों में कहा था कि भारत और नेपाल को द्विपक्षीय सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए ‘‘इतिहास में अनिर्णित’’ कुछ मुद्दों का कूटनीतिक रूप से समाधान किए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य समर्थक ओली को चीन से प्यार

उनके मुख्य समर्थक ओली भी चीन समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री के रूप में ओली ने पिछले साल दावा किया था कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण तीन क्षेत्रों- लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्रों- को नेपाल के राजनीतिक मानचित्र में शामिल करने के कारण उन्हें सत्ता से बाहर किए जाने का प्रयास किया गया था। इस विवादित मानचित्र के कारण दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे। लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्र भारत का हिस्सा हैं।

भारत ने 2020 में नेपाली संसद द्वारा नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी देने के बाद पड़ोसी देश के इस कदम को ‘कृत्रिम विस्तार’ करार दिया था। नेपाल पांच भारतीय राज्यों- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1850 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करता है। किसी बंदरगाह की गैर-मौजूदगी वाला पड़ोसी देश नेपाल माल और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर करता है। नेपाल की समुद्र तक पहुंच भारत के माध्यम से है और यह अपनी जरूरतों की चीजों का एक बड़ा हिस्सा भारत से और इसके माध्यम से आयात करता है।

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