NATO Office in Japan: अमेरिका और यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन 'नाटो' ने चीन के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। जापान की मदद से चीन को चारों ओर से घेरने का बड़ा प्लान बनाया गया है। इसके तहत नाटो ने जापान में ऑफिस खोलने के समझौते के साथ ही चीन के खिलाफ रणनीतिक घेराबंदी तेज कर दी है। इसे लेकर दस्तावेजी प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। अगले हफ्ते लिथुआनिया की राजधानी विनियस में होने वाले नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान इसकी आधिकारिक घोषणा भी की जा सकती है। यह एशिया में नाटो का अपनी तरह का पहला ऑफिस होगा। इससे नाटो को ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया के साथ समय-समय पर सहयोग करने की सुविधा भी मिलेगी। नाटो के ऑफिस से जापान को चीन और रूस से बढ़ते खतरों से निपटने में काफी सहायता मिलेगी। जापान को उत्तर कोरिया से भी हमले का खतरा है। ऐसे में नाटो की मौजूदगी जापान की सुरक्षा को मजबूत करेगा।
जापान के साथ सैन्य संबंध बढ़ाएगा नाटो
निक्केई एशिया ने यूरोपीय और जापानी स्रोतों के हवाले से बताया है कि इंडिविजुअली टेलर्ड पार्टनरशिप प्रोग्राम (आईटीपीपी) में तीन रणनीतिक लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है। इसके अलावा 16 सहयोग क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। इनका उद्देश्य नाटो और जापान में संवाद को मजबूत करना, आपसी तालमेल और सैन्य संचालन को बढ़ाना और इंटेलिजेंस पर फोकस करना है। दस्तावेज में कहा गया है कि जापान और नाटो क्षमता के विकास के साथ आपसी सहयोग को बढ़ाने के क्षेत्र में एक दूसरेकी सहायता करेंगे।
एक दूसरे के हथियार और शिपयार्ड का भी करेंगे इस्तेमाल
इस समझौते के तहत जापान अपने रक्षा उपकरणों के लिए नाटो के मानकों को अपना सकता है। इसके अलावा जापान और नाटो एक दूसरे के शिपयार्ड और विमान हैंगर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। हालांकि, नाटो को अपने सदस्य देशों के बीच भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि सेनाओं के बीच तकनीकी असमानताएं, सैद्धांतिक मतभेद और संसाधनों का असमान वितरण। जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यूं सुक येओल, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस हिपकिंस नाटो के विनियस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
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