Nancy Pelosi Taiwan Visit: ताइवान यात्रा पर आईं अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइपे में राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से मुलाकात के बाद दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हो गई हैं। पेलोसी चीन की धमकियों के बीच कल यानी मंगलवार देर रात ताइवान पहुंची थीं। हालांकि, युद्ध का खतरा अभी टला नहीं है। चीन जल्द ही ताइवान पर हमला कर सकता है।
चीन की नेवी और एयरफोर्स ने चारों तरफ से ताइवान को घेर रखा है। चीन खुल्लम खुल्ला धमकी दे रहा है। ताइवान से चंद सौ किलोमीटर दूर चीन के फुजियान प्रांत में इस वक्त हलचल काफी तेज है। सायरन बज रहे हैं। टैंक्स की मूवमेंट हो रही है। चीन बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है।
हम यहां तीन मकसद से आए हैं: पेसोसी
ताइवान यात्रा समाप्त कर दक्षिण कोरिया रवाना होने से पहले नैंसी पेसोसी ने कहा कि हम यहां तीन मकसद से आए हैं। उन्होंने कहा, "पहला सुरक्षा को लेकर, यहां के लोगों की सुरक्षा। दूसरा आर्थिक मजबूती, जिसे हर संभव तरीके से बेहतर किया जा सके। तीसरा गवर्नेंस। इन तीनों मकसद के जरिए हम इस क्षेत्र में शांति चाहते हैं। बातचीत से हर मुद्दे का समाधान हो, ताकि एशियन पैसिफिक रीजन में शांति बनी रहे। हम इस क्षेत्र में ताइवान के साथ सभी देशों के अच्छे संबंध का समर्थन करते हैं।"
पेलोसी ने कहा, "दुनिया में लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच संघर्ष है। जैसा कि चीन समर्थन हासिल करने के लिए अपनी सॉफ्ट पावर का इस्तेमाल करता है, हमें ताइवान को लेकर उसके तकनीकी विकास के बारे में बात करनी होगी और लोगों को ताइवान के ज्यादा लोकतांत्रिक बनने का साहस दिखाना होगा।"
ताइवान की राष्ट्रपति ने क्या कहा?
ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा, "हम ताइवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ताइवान एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक को सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा के रूप में एक प्रमुख स्थिर शक्ति बना सकता है।"
ताइवान पर चीन ने लगाई पाबंदियां
पेलोसी के आने से चीन ने ताइवान पर कई पाबंदियां लगा दी हैं। यही नहीं चीनी सेना ने 21 सैन्य विमानों से ताइवान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में उड़ान भरकर अपनी ताकत दिखाई। वहीं, इन सबके बीच चीन ने एक बार फिर हमला बोलते हुए कहा कि अब ताइवान स्ट्रेट के पास सैन्य अभ्यास बेहद जरूरी है।
पेलोसी के दौरे से क्यों भड़का चीन?
ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिका उसे सैन्य उपकरण बेचता है, जिसमें ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर भी शामिल है। ओबामा प्रशासन ने 6.4 अरब डॉलर के हथियारों के सौदे के तहत 2010 में ताइवान को 60 ब्लैक हॉक्स बेचने की मंजूरी दी थी। इसके जवाब में चीन ने अमेरिका के साथ कुछ सैन्य संबंधों को अस्थायी रूप से तोड़ दिया था। चीन ताइवान के मुद्दे पर किसी तरह का विदेशी दखल नहीं चाहता है। उसकी कोशिश रहती है कि कोई भी देश ऐसा कुछ नहीं करे, जिससे ताइवान को अलग पहचान मिले। यही वहज है अमेरिकी संसद की स्पीकर के दौरे से चीन आगबबूला गया।
चीन-ताइवान के बीच क्या है विवाद?
ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है। ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान है। ताइवान में लोगों की ओर से चुनी हुई सरकार है, जबकि चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को फिर से अपने कब्जे में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हैं।
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