Lumbini Historic Importance: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लुंबिनी यात्रा को लेकर नेपालवासियों में उत्साह का माहौल है। आज गौतम बुद्ध की जयंती यानी बुद्ध पूर्णिमा पर नेपाल के लुम्बनी शहर जाएंगे। बता दें कि लुंबिनी को भगवान बुद्ध की जन्मस्थली माना जाता है। बौद्ध धर्म के धर्मावलंबियों के लिए यह बड़ी आस्था का केंद्र है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लुम्बिनी को दुल्हन की तरह सजाया गया है। पीएम मोदी की लुंबिनी यात्रा के बीच इस शहर के ऐतिहासिक महत्व और को समझना जरूरी है।
ये बुद्ध की लुम्बिनी है...
गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ था। 528 BC वैशाख माह की पूर्णिमा को ही बोधगया में एक वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। माना जाता है कुशीनगर में इसी दिन उन्होंने 80 वर्ष की उम्र में देह त्याग दी थी। लगभग 2500 वर्ष पहले बुद्ध के देह त्यागने पर उनके शरीर के अवशेष (अस्थियां) आठ भागों में विभाजित हुए। जिन पर आठ स्थानों पर 8 स्तूप बनाए गए।
1 स्तूप उनकी राख और एक स्तूप उस घड़े पर बना था जिसमें अस्थियां रखी थीं। नेपाल में कपिलवस्तु के स्तूप में रखी अस्थियों के बारे में माना जाता है कि वह गौतमबुद्ध की हैं। इसके अलावा उनके जीवन से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण जगहें और हैं। उत्तर प्रदेश के ककराहा गांव से 14 मील और नेपाल-भारत सीमा से कुछ दूर पर बना रुमिनोदेई नामक गांव ही लुम्बिनी है, जो गौतम बुद्ध के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध है। लुम्बिनी बौद्ध धर्म के मतावलम्बियों का एक तीर्थ स्थान है। यह नेपाल के रूपनदेही जिले में पड़ता है।
समेटे है ऐतिहासिक रहस्य
गौतम बुद्ध की भूमि लुम्बिनी सदियों से इतिहास के कई रहस्य अपने में समेटे हुए है। लुम्बिनी हिमालय की गोद में बसे देश नेपाल के दक्षिण में स्थित है। शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने लुम्बिनी की खुदाई के दौरान सदियों पुराने एक मंदिर और गांव का पता लगाया है। इस जगह के बारे में पहले से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी। युनेस्को ने बुद्ध के जन्मस्थान को ऐतिहासिक महत्व की वैश्विक धरोहर घोषित कर रखा है। खुदाई में शामिल विशेषज्ञों का कहना है कि नई खोज 1300 ईसा पूर्व के समय की है। यह बुद्ध के जन्म से 700 साल पहले के अवशेष हैं।
सम्राट अशोक से संबंध
हाल ही में हुई खुदाई के नतीजों से पता चला है कि मंदिर का यह ढांचा मायादेवी मंदिर के भीतर बना था। यह सम्राट अशोक के इस क्षेत्र में पहुंचने से पहले की घटना है। माना जाता था कि लुम्बिनी और यह मंदिर सम्राट अशोक के कार्यकाल में तीसरी शताब्दी में बनाया गया था। इस खुदाई मिशन में शामिल अनुसंधानकर्ताओं ने सम्राट अशोक के समय से पहले के एक मंदिर का पता लगाया है जो कि ईंट से बना हुआ था।
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