कोलंबोः श्रीलंका का लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) का संस्थापक वेलुपिल्लई प्रभाकरण अभी तक जिंदा है या वह मारा जा चुका है, इसे लेकर सुरक्षा एजेंसियां अभी तक स्पष्ट स्थिति में नहीं हैं। मगर अब प्रभाकरण के भाई ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि उसका भाई (प्रभाकरण) और उसका पूरा परिवार 2009 में मारा जा चुका है। साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ तमिल लोग यह दावा करके लोगों को धोखा दे रहे हैं कि प्रभाकरण और उसके परिवार के कुछ सदस्य, विशेषकर उसकी एक बेटी जीवित हैं।
लंकाएफटी (एफटी.एलके) पोर्टल की खबर के अनुसार वेलुपिल्लई प्रभाकरण के भाई वेलुपिल्लई मनोहरन ने कहा, ‘‘वेलुपिल्लई प्रभाकरन, उसकी पत्नी और उसके तीन बच्चे मर चुके हैं और वे सभी 2009 में श्रीलंका युद्ध के अंतिम चरण में मारे गए थे।’’ पोर्टल के अनुसार मनोहरन ने सार्वजनिक तौर पर पहली बार यह बात स्वीकार की है। लिट्टे ने श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में एक अलग तमिल मातृभूमि के लिए लगभग 30 वर्ष तक सैन्य अभियान चलाया था। मई 2009 में श्रीलंकाई सेना की कार्रवाई में वेलुपिल्लई प्रभाकरन मारा गया था। मनोहरन इस समय डेनमार्क में है।
प्रभाकरण के जीवित होने का हो रहा था दावा
एफटी.एलके पोर्टल की खबर में कहा गया है कि यह एक ‘‘बहुत बड़ा घोटाला’’ है जिसे तमिल प्रवासियों के एक वर्ग द्वारा तमिलों से पैसे ठगने के लिए अंजाम दिया गया है। तमिल प्रवासियों के एक वर्ग ने दावा किया है कि प्रभाकरण और उसके परिवार के कुछ सदस्य अभी भी जीवित हैं। मनोहरन ने कहा, ‘‘प्रभाकरन के बड़े भाई के रूप में, मैने महसूस किया कि इन दावों को खारिज करना मेरी जिम्मेदारी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, ऐसी झूठी अफवाहें भी फैलाई गई हैं कि मेरा भाई जीवित है और विदेश में रह रहा है।’’ ‘डेलीमिरर डॉट एलके’ की खबर के अनुसार मनोहरन ने कहा, ‘‘मेरे भाई प्रभाकरन और उसके पूरे परिवार की मौत हो गई है। इस सच्चाई को स्वीकार करना बहुत जरूरी है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि मेरे भाई के परिवार के नाम पर इन धोखेबाजों के झांसे में न आएं। (भाषा)
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