इस्लामाबाद: पाकिस्तान की एक अदालत के सामने वकील ने आजम खान की गवाही पर भरोसा नहीं करने का अनुरोध किया है। यह मामला जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से जुड़ा है। खान के वकील ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह गोपनीय राजनयिक दस्तावेज लीक मामले (सिफर मामला) में उनके (खान के) पूर्व सहयोगी आजम खान की गवाही पर भरोसा ना करे, क्योंकि यह (गवाही) स्पष्ट रूप से संदिग्ध परिस्थितियों में दर्ज की गयी थी।
खान की ओर से पेश अधिवक्ता सलमान सफदर ने मंगलवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि एक समय पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक खान के विश्वासपात्र रहे आजम खान इस मामले में आरोपी हैं और जून 2023 में लापता हो गये थे। तब इमरान खान के पूर्व प्रमुख सचिव ने अपना कबूलनामा दर्ज करने के बजाय एक जांच अधिकारी और मजिस्ट्रेट के सामने उनके खिलाफ गवाही दी। ‘डॉन न्यूज’ की खबर के अनुसार, उच्च न्यायालय मंगलवार को 71-वर्षीय खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी की उस अपील की सुनवाई कर रहा था, जिसमें गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में सरकारी गोपनीयता कानून, 1923 के तहत उन्हें सुनाई गयी सजा को चुनौती दी गयी है।
जानें क्या है मामला
वकील सफदर ने कहा कि मामले की प्राथमिकी पिछले साल 15 अगस्त को दर्ज की गई थी और खान ने अगले दिन अपना बयान दर्ज कराया था। आईएचसी ने रिकॉर्ड का अवलोकन किया और पाया कि आजम खान 15 जून को लापता हो गए थे और 20 जुलाई को फिर से सामने आए और एक महीने बाद अपना बयान दर्ज कराया था। सफदर ने पूर्व नौकरशाह की गवाही पर संदेह जताया और दलील दी कि यह गवाही संदिग्ध परिस्थितियों में दर्ज की गई थी। उन्होंने अदालत से आजम खान की गवाही पर भरोसा न जताने का अनुरोध किया और दलील दी कि मजिस्ट्रेट ने अन्य आरोपियों को पूर्व नोटिस जारी किये बिना उनका (आजम खान का) बयान दर्ज किया। (भाषा)
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