ताइपे (ताइवान): ताइवान को अब नया राष्ट्रपति मिल गया है। चीन के धुर विरोधी ताइवानी नेता लाई चिंग ते ने सोमवार को ताइवान के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण किया है। पद संभालने के बाद अपने पहले ही भाषण में लाई चिंग ते ने चीन को बड़ा ट्रेलर दे दिया है। ताइवान के राष्ट्रपति ने कहा है कि "चीन उन्हें धमकी देना बंद करे।" बता दें कि चीन ताइवान के अपना हिस्सा बताता रहा है और अक्सर अपने साम्राज्य में विलय करने की धमकियां देता रहा है। चीन के लड़ाकू विमान और जंगी जहाजें अक्सर ताइवान के हवाई क्षेत्र और समुद्री सीमा के करीब उसे तनाव देते रहते हैं।
मगर अब ताइवान के नए राष्ट्रपति ने चीन को इन हरकतों से बाज आने को कहा है। लाई चिंग ते वह नेता हैं, जिनके नेतृत्व में द्वीपीय राष्ट्र चीन के खिलाफ अपनी सुरक्षा को मजबूत करने की कोशिश जारी रखेगा और स्वशासित लोकतंत्र की वास्तविक स्वतंत्रता की नीति को बरकरार रखेगा। चीन ताइवान पर अपना दावा करता है और जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक इस पर नियंत्रण हासिल करने की बात कह चुका है। लाई के शपथ ग्रहण करने पर उन्हें उनके देश के नेताओं और ताइवान के साथ आधिकारिक राजनयिक संबंध रखने वाले 12 देशों के प्रतिनिधिमंडलों के अलावा अमेरिका, जापान और विभिन्न यूरोपीय देशों के नेताओं ने बधाई दी। लाई ने दक्षिणी शहर ताइनान के मेयर के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था और वहां से वह उपराष्ट्रपति और फिर राष्ट्रपति पद तक पहुंचे हैं।
सई इंग वेन का लाई चिंग ते ने किया रिप्लेस
लाई चिंग ते ने पूर्व राष्ट्रपति साई इंग-वेन का स्थान लिया है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी और चीन के बढ़ते सैन्य खतरों के बीच आठ साल तक ताइवान का नेतृत्व किया और देश को आर्थिक एवं सामाजिक विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाया। लाई ने साई के दूसरे कार्यकाल में उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली थी। उन्होंने 2017 में खुद को ताइवान की स्वतंत्रता के लिए काम करने वाला कार्यकर्ता बताया था और उनके इस बयान की चीन ने कड़ी निंदा की थी। इसके बाद से उन्होंने अपना रुख नरम किया और अब वह ताइवान जलडमरूमध्य में यथास्थिति बनाए रखने एवं चीन के साथ बातचीत की संभावना का समर्थन करते हैं।
ताइवान और अमेरिका के हैं मधुर संबंध
ताइवान और अमेरिका के रणनीतिक वजहों से मधुर संबंध रहे हैं। लिहाजा लाई अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करने के साई के प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे। अमेरिका ताइवान को एक देश के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता नहीं देता, लेकिन वह उसे रक्षा के साधन मुहैया कराने के अपने कानूनों से बंधा हुआ है। साई के कार्यकाल के दौरान ताइवान समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाला एशिया का पहला समाज बना। बहरहाल, उनके आलोचकों का कहना है कि उन्होंने निर्णय को उच्चतम न्यायालय और जनमत संग्रह पर छोड़कर राजनीतिक जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की। (एपी)
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