क्यों आया तुर्की और सीरिया में इतना भयानक भूकंप, जिसने ले ली हजारों लोगों की जान, क्यों नहीं थी इस आपदा से निपटने की तैयारी?
तुर्की और सीरिया में आई इस आपदा के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि मृतकों की संख्या 20 हजार के पार जा सकती है। वहीं अगर अभी मृतकों की संख्या की बात करें तो यह 4500 से पार जा चुकी है। मृतकों का आंकड़ा पल-पल बढ़ता ही जा रहा है।
अंकारा: सोमवार को तुर्की और सीरिया में आया भूकंप एक आपदा बनकर सामने आया। भूकंप की वजह से 4300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। इस संख्या में बच्चे-बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल हैं। हजारों लोग अभी भी मलबे में दबे हुए हैं। दुनियाभर से बचाव दल प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान चल रहे हैं। भारत की भी NDRF की 2 टीमें मदद के लिए पहुंच चुकी हैं। दोनों देशों में लोग सड़कों पर रात हजार रहे हैं। आलीशान और बहुमंजिला इमारते अब कब्र की तरह बन चुकी हैं।
सोमवार को सुबह आया 7.8 की तीव्रता का भूकंप
इस सब हालातों के बीच यह सवाल चर्चा में बना हुआ है कि आख़िरकार इतना भयानक भूकंप आया कैसे? इसके पीछे की वजह क्या है? क्या तुर्की और सीरिया की सरकारों को इस आपदा का अंदाजा नहीं था? और इस आपदा में इतनी बड़ी संख्या में मौतें कैसे हुईं? बता दें कि इस भूकंप का केंद्र गाजियांटेप के पास जमीन के क़रीब 18 किलोमीटर नीचे था। पहले झटके की तीव्रता 7.8 थी। जानकारों के मुताबिक 7.8 तीव्रता वाले भूकंपों को बहुत विनाशकारी श्रेणी में रखा जाता है। जानकारों के अनुसार, किसी भी साल में आए विनाशकारी भूकंपों को अगर देखा जाए तो पिछले दस सालों में इस तीव्रता के सिर्फ़ दो और उससे पहले के दशक में चार भूकंप दर्ज किए गए थे।
इस हादसे में क्यों गई हजारों लोगों की जान ?
माना जाता है कि भूकंप के बाद बचाव अभियान जितनी जल्दी शुरू किया जा सके उतनी ज्यादा जानें बचाई जा सकती हैं। लेकिन यहां इसका विपरीत हुआ। इस तरह की आपदा से निबटने के लिए सरकार और प्रशासन की कोई खास तैयारी नहीं थी। जिस वजह से घटना के बाद बड़े स्तर पर बचाव अभियान नहीं चलाया जा सका। भूकंप के शुरूआती झटके आए हुए 36 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है और युद्ध स्तर पर अभियान अब शुरू हो सका है।
सरकार ने क्यों नहीं की थी तैयारी ?
वहीं अब सवाल उठता है कि सरकार ने ऐसे संकट से निपटने के लिए तैयारी क्यों नहीं की थी? जानकार बताते हैं कि यह एक ऐसा इलाका है कि जहां पिछले 200 वर्षों से भी अधिक समय से ऐसा विनाशकारी भूकंप न ही आया था और न ही हाल-फिलहाल में ऐसे कोई संकेत मिले थे। इसलिए यहां ऐसी आपदा का सामना करने के लिए तैयारी कम थी और इस कारण इतनी बड़ी मात्रा में मौतें हुई हैं। इसके साथ ही 7.8 तीव्रता का भूकंप का पहला झटका उस समय आया जब तुर्की और सीरिया में सुबह थी। उस वक्त ज्यादातर लोग अपने घरों में सो रहे थे। अगर यह घटना दिन में किसी वक्त होती तो शायद तबाही का मंजर इतना भयानक नहीं होता।
क्यों आया इतना भयानक भूकंप ?
धरती के अंदर का भाग अलग-अलग प्लेटों से बना होता है, जो एक दूसरे से चिपकी हुई होती हैं। अक्सर ये प्लेटें खिसकती हैं और पास की प्लेटों से घर्षण होता है। कभी कभार तनाव इतना बढ़ जाता है कि एक प्लेट, दूसरी पर चढ़ जाती है जिससे सतह पर भी हलचल होती है। इस मामले में अरेबियन प्लेट उत्तर की ओर खिसक रही है और एनातोलियन प्लेट से इसका घर्षण हो रहा है और इतना विनाशकारी भूकंप आ आया और इसका परिणाम हम सभी के सामने है।
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