Indo-China Relationship: जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद एक बार फिर से दोनों देशों के रिश्ते नाजुक दौर में पहुंच चुके हैं। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि स्वयं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कही है। गलवान घाटी के संघर्ष में देश के करीब 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं भारतीय सैनिकों ने भी 40 से अधिक चीनी फौजियों को मौत की नींद सुला दिया था। इस हिंसक झड़प की वजह देश के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में की जाने वाली चीन की घुसपैठ थी। हालांकि इसके बाद चीन ने अपने सैनिकों को भारतीय सीमा से पीछे हटा लिया था। इसके बाद दोनों देशों के संबंध पर जमी बर्फ धीरे-धीरे पिघलने लगी थी। अब कुछ माह से ड्रैगन फिर से भारतीय सीमा से लगे क्षेत्रों के अलावा पड़ोसी श्रीलंका और पाकिस्तान में कुछ ऐसी नापाक गतिविधियों को अंजाम देने में जुटा है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में भारी कड़वाहट आ गई है।
श्रीलंका में भेजा जासूसी जहाज और पाक में कर रहा ये हरकत
श्रीलंका में छाये भारी आर्थिक संकट के बीच चीन ने पहले तो श्रीलंकाई क्षेत्र में अपनी जासूसी जहाज भेज दी। चीन का इरादा यहां से भारत के बारे में जासूसी करना था। जब हिंदुस्तान ने इसे लेकर श्रीलंका के सामने कड़ी आपत्ति जाहिर की और चीन को अपनी हरकतों से बाज आने को कहा तो अब ड्रैगन ने नई चाल चल दी। इसके तहत वह पाकिस्तान में अपनी सैन्य चौकियां बनाने के फिराक में है। ताकि वह भारत की श्रीलंका और पाकिस्तान दोनों देशों के रास्ते से घेराबंदी कर सके। मगर भारत ने चीन की इस नापाक हरकत पर गहरी आपत्ति दर्ज कराई है। बावजूद चीन मानने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान में चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड (बीआरआइ) परियोजना में भारी निवेश किया है। ऐसे में वह उसकी सुरक्षा के बहाने अपनी सैन्य चौकियां स्थापित करने की जुगत में है।
मध्य एशिया में अपना प्रभाव जमाना चाह रहा चीन
चीन का इरादा मध्य एशिया में अपना प्रभाव जमाने का है। इसीलिए वह पाकिस्तान-अफगानिस्तान मार्ग के जरिये रणनीतिक निवेश करता जा रहा है। अनुमानित तौर पर चीन ने पाकिस्तान में अब तक 60 अरब डालर से अधिक का निवेश कर चुका है। अब इसी वजह से वह पाकिस्तान में चौकियों पर अपने सैनिकों को तैनात करने का दबाव बना रहा है। इससे पहले वह ग्वादर बंदरगाह और ग्वादर एअरपोर्ट के लिए भी सैन्य चौकियों में अपने सैनिक भेजने की मांग कर चुका है। इस बहाने वह भारत समेत मध्य एशियाई देशों में अपनी पहुंच और धमक बढ़ाना चाहता है।
पूर्वी लद्दाख में भी फिर से घुसपैठ का प्रयास
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन एक बार फिर से घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। इससे भारत और चीन के बीच तल्खी लगातार बढ़ रही है। इससे पहले गलवान में मुंह की खाने के बाद ड्रैगन कुछ समय के लिए पीछे तो हट गया था, मगर लगता है कि इसमें भी उसकी चाल थी। अब वह और अधिक तैयारी के साथ भारत को घेरने का प्रयास कर रहा है। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में अपने सैनिकों की घुसपैठ कराने में जुटा है।
नेपाल के बाद अब श्रीलंका पर डोरे
पाकिस्तान को चीन ने वर्षों से अपना मुरीद बना रखा है। इसके बाद वह नेपाल को भी भारत के खिलाफ भड़का चुका है। एक वर्ष पहले भारत और नेपाल के रिश्तों में भी भारी कड़वाहट आ गई थी। यह सब चीन के ही इशारे पर हो रहा था। अब श्रीलंका में आर्थिक और राजनीतिक उठापटक का फायदा उठाते हुए वहां भी डोरे डालना शुरू कर दिया है। ताकि भारत को चारों तरफ से घेर सके। यही वजह है कि भारत और चीन के रिश्ते लगातार नाजुक होते जा रहे हैं।
क्या भारत और चीन में हो सकता है युद्ध
विशेषज्ञों के अनुसार चीन अपनी नापाक हरकतों पर लगाम लगाने के बजाय वह उसे और अधिक बढ़ाता जा रहा है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। चीन अपनी हरकतों से बाज आएगा इस बात की उम्मीद करना बेमानी ही है। वहीं दूसरी तरफ भारत अपने मजबूत राजनीतिक नेतृत्व के चलते चीन को कड़ा जवाब देने को तैयार है। अगर भारतीय सीमा क्षेत्र में भी चीन की हरकतें बंद नहीं हुईं तो दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ने में देर नहीं लगेगी। क्योंकि भारत को ड्रैगन की यह हरकतें कतई मंजूर नहीं हैं।
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