किनमेन... ताइवान के इस हथियार ने चीन को रुलाए खून के आंसू, बिना एक भी हमला किए ड्रैगन के होश लगे ठिकाने, कानों पर करता है 'वार'
ये द्वीप ताइवान की संप्रभुता के तहत आता है। ये तभी से ताइवान के अधीन है, जब 1949 में माओत्से तुंग के कम्युनिस्टों ने चियांग काई-शेक के नेशनलिस्ट सैनिकों को मुख्यभूमि से निष्कासित कर दिया था।
Highlights
- चीन ताइवान के बीच फिर जारी है तनाव
- ताइवान ने अपनाई थी एक खास रणनीति
- दीवार पर लगाए गए थे 48 लाउडस्पीकर
Taiwan China War: अगर आपके आसपास कोई फुल वॉल्युम में संगीत बजाए और उसे कभी बंद ही न करे, तो आप कैसा महसूस करेंगे? और ऐसा ही अगर दशकों तक होता रहे, तो ये किसी प्रताड़ना जैसा प्रतीत होता है। मगर ताइवान ने चीन के खिलाफ इसी रणनीति को अपनाया है। दरअसल ताइवान सरकार ने क्यूमोय द्वीप पर हुए एक प्रोपेगेंडा वॉर में इसे इस्तेमाल किया था। इस रणनीति को किनमेन के नाम से जाना जाता है। इस रणनीति के तहत करबी दो दशक से भी अधिक समय तक मनोवैज्ञानिक युद्ध जारी रहा है। जिसमों रोजाना दिन के 24 घंटे तक संगीत बजता रहा। ताइवान ने दस मीटर ऊंचे लाउडस्पीकर को चीन की मुख्यभूमि की तरफ खड़ा किया था।
लाउडस्पीकर पर या तो ताइवान की भाषा में संगीत बजता रहता था या फिर चीन के सैनिकों के लिए संदेश सुनाई देते थे। इन संदेशों में सैनिकों से पाला बदलने को कहा जाता था। लाउडस्पीकर की संख्या एक दो नहीं बल्कि पूरी 48 थी। इन्हें काफी मजबूत कंक्रीट की दीवार पर लगाया गया था, जिसे बेशान रिले वॉल के नाम से जाना जाता है। लाउडस्पीकर आकार में बेहद बडे़ और तेज आवाज वाले थे। इनकी आवाज 25 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती थी। ये एक तरह का मनोवैज्ञानिक युद्धा था, जिसने दोनों तरफ के लोगों को खूब परेशान किया। मनोवैज्ञानिक युद्ध उस वक्त खत्म हुआ, जब साल 1979 में अमेरिका ने चीन को मान्यता दी और क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदला गया।
लंबे वक्त से ताइवान का है द्वीप
जिस द्वीप पर लाउडस्पीकर लगाए गए थे, वह कई छोटे द्वीपसमूहों से मिलकर बना था। इसकी दूरी चीन के तट से 10 किलोमीटर से भी कम था। ये द्वीप ताइवान की संप्रभुता के तहत आता है। ये तभी से ताइवान के अधीन है, जब 1949 में माओत्से तुंग के कम्युनिस्टों ने चियांग काई-शेक के नेशनलिस्ट सैनिकों को मुख्यभूमि से निष्कासित कर दिया था। इसी साल द्वीप पर बेहद भीषण युद्ध हुआ। जिसमें कुओमिंतांग ने कम्युनिस्ट सैनिकों को ताइवान पर कब्जा करने से रोक लिया। उस वक्त बनी भौगेलिक स्थिति आज भी कायम है।
जब 1954 और 1958 में ताइवान जलडमरूमध्य में संकट उत्पन्न हुआ, तब भी यही द्वीप नेशनलिस्ट और कम्युनिस्टों के बीच संघर्ष का साक्षी बना था। इस संघर्ष के बाद चीन वाले कम्युनिस्ट ऑड दिनों में गोलियां बरसाते थे और ताइवान वाले नेशनलिस्ट इवेन दिनों में। इस दौरान हमलों में सैन्य उपकरणों और सैनिकों को निशाना बनाया जा रहा था। जबकि अधिकतर बमों में प्रोपेगेंडा-लीफलेट्स लगे होते थे। इनमें तस्वीरों और संदेशों को जगह दी गई थी। ताइवान की तरफ से फेंके जाने वाले लीफलेस्ट में हंसते हुए चियांग काई शेक की तस्वीर, भागते चीनी सैनिक और युवा ताइवानी शादी कर रहे हों, ऐसे स्टैंप होते थे।
अभी क्यों बना हुआ है तनाव?
चीन और ताइवान के बीच अब भी संघर्ष जारी है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की यात्रा के चार दिन बाद रविवार को भी ताइवान के आसपास चीन का सैन्य अभ्यास जारी रहा। चीनी सेना ने कहा कि इसका उद्देश्य लंबी दूरी के हवाई और जमीनी हमलों का अभ्यास करना है। ताइवान ने कहा है कि उसे ताइवान जलडमरूमध्य के आसपास चीनी विमानों, जहाजों और ड्रोन के संचालन के बारे में लगातार जानकारी मिल रही है। ताइवान जलडमरूमध्य चीन और ताइवान को अलग करता है। इस बीच, ताइवान की सरकारी 'सेंट्रल न्यूज एजेंसी' ने कहा कि ताइवान की सेना चीनी सेना के अभ्यास के जवाब में मंगलवार और बृहस्पतिवार को दक्षिणी पिंगतुंग काउंटी में अभ्यास करेगी।
चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है। साथ ही वह लंबे से कहता रहा है कि जरूरत पड़ी तो वह बलपूर्वक ताइवान को अपनी मुख्य भूमि में मिला सकता है। वह विदेशी अधिकारियों के ताइवान दौरे का विरोध करता रहा है। चीन पेलोसी की यात्रा से नाराज है, जो बुधवार को ताइवान से जा चुकी हैं। लगभग 25 वर्ष के बाद अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के किसी वर्तमान अध्यक्ष की यह पहली ताइवान यात्रा थी।