पाकिस्तान अपनी डूबती इकोनॉमी को बचाने के लिए हाथ पांव मार रहा है। इसी बीच पाकिस्तान को एक और झटका लगा है। पाकिस्तान की तेल कंपनियों ने पाकिस्तान की शहबाज सरकार को चेतावनी दी है कि कुछ ही दिनों में मदद नहीं मिली, तो पाक की ऑयल इंडस्ट्री ढह जाएगी। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भेजे गए पत्र में तेल कंपनियों ने यह चेतावनी दी है।
पाकिस्तान की तेल कंपनियों का कहना है कि कि बस कुछ ही दिनों में देश की ऑयल इंडस्ट्री पूरी तरह से बर्बाद होने वाली है। उधर, शहबाज शरीफ अंतरराष्ट्री मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाली मदद का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल मदद मिलने की संभावना नहीं दिखाई दे रही है। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पाकिस्तान इतने बड़े तेल संकट से गुजर रहा है। पेट्रोल कंपनियों पर ताला लगने का मतलब होगा कि पाकिस्तान की बची-खुची अर्थव्यवस्था का पूरी तरह से ढह जाना। ऐसे में पाकिस्तान सरकार को अपनी तेल इंडस्ट्री को बचाने के लिए काफी मशक्कत करना होगी।
31 जनवरी को पाक पहुंची IMF की टीम
IMF की एक टीम 31 जनवरी को पाकिस्तान पहुंची है जो पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के लोन प्रोग्राम में शामिल करने के लिए नौंवी समीक्षा बैठक कर रही है। टीम 9 फरवरी तक पाकिस्तान के वित्त मंत्री और उनकी टीम से प्रोग्राम की शर्तों को लागू करवाने पर बात करेगी। IMF की कुछ शर्तों को लागू करने के बाद पाकिस्तान में महंगाई और बढ़ी है और रुपया ऐतिहासिक रूप से लुढ़का है।
पाकिस्तान में पेट्रोलियम उत्पाद 16 फीसदी तक बढ़ गए हैं। रसोई गैस की कीमत में 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पाकिस्तान के आर्थिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि आईएमएफ का राहत पैकेज भले ही मिल जाए, लेकिन पाकिस्तान के लिए खतरा टला नहीं है। अभी भले ही वह दिवालिया होने से बच जाए, लेकिन यह समस्या का स्थाई इलाज नहीं है। डूबती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए मजबूत रिफॉर्म्स की जरूरत है।
IMF ने सरकारी खर्च कम करने को कहा
दरअसल, पाकिस्तान IMF से सहायता राशि के लिए कई बार अपील कर चुका है, लेकिन IMF साफ शब्दों में पहले ही पाकिस्तान की सरकार को खर्च कम करने और अपने सरकारी खजाने को बढ़ाने की हर संभव कोशिश करने की नसीहत दे चुका है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की ओर से कंगाल पाकिस्तान को नौ अरब डॉलर देने का ऐलान किया गया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा काफी खतरनाक है और सिर्फ तीन हफ्तों के आयात के लिए ही है। अगर आईएमएफ पाकिस्तान के साथ किसी समझौते पर पहुंच भी जाता है जो भी पैसा मिलने में समय लगेगा।
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