सियोल: उत्तर कोरिया की कारस्तानियों के बीच दक्षिण कोरिया और जापान एकसाथ आए हैं। दोनों के बीच बैठक आयोजित हुई है। उत्तर कोरिया इलाके में अपनी पकड़ बनाने के लिए आए दिन मिसाइल टेस्ट करता है। इनमें से कई परमाणु ले जाने वाली बैलेस्टिक मिसाइल भी शामिल हैं। उत्तर कोरिया की ऐसी हरकतों का सामना करने के लिए ही जापान और दक्षिण कोरिया एकसाथ आए हैं। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने जापान के औपनिवेशिक शासन के दौरान कोरियाई बंधुआ मजदूरों की पीड़ा के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है।
किशिदा और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने रविवार को उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम जैसी साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए ऐतिहासिक विवादित मुद्दों को सुलझाने और आपसी सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल के साथ दो महीने से भी कम समय में अपने दूसरे शिखर सम्मेलन के दौरान जापानी प्रधानमंत्री की ओर से की गयी टिप्पणियों पर सियोल में बारीकी से नजर रखी जा रही है।
यून को दक्षिण कोरिया में इसलिए आलोचना का सामना करना पड़ा है कि उन्होंने बदले में इसी तरह के कदम उठाए बिना टोक्यो को रियायतें दी थीं। किशिदा के बयान से पता चलता है कि उन्होंने उपनिवेशीकरण पर एक नयी और प्रत्यक्ष रूप से माफी मांगने से परहेज किया, लेकिन फिर भी कोरियाई पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि दक्षिण कोरिया से सुधरते हुए संबंधों को बनाए रखने के लिए किशिदा पर दबाव था। किशिदा ने यून के साथ संयुक्त रूप से एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘व्यक्तिगत रूप से, मेरे दिल में बहुत पीड़ा है क्योंकि मैं उस अत्यधिक कठिनाई और दुःख के बारे में सोचता हूं जो उन दिनों बहुत से लोगों को बेहद भयावह माहौल में भुगतना पड़ा था। ’
दक्षिण कोरिया और जापान ऐतिहासिक मसलों पर लंबे समय से जारी गतिरोध को दूर करना चाहते हैं तथा उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम व अन्य क्षेत्रीय चुनौतियों के मद्देनजर आपसी सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं। जापान के प्रधानमंत्री फिमियो किशिदा दो दिन की यात्रा पर रविवार को दक्षिण कोरिया पहुंचे। इससे पहले, मार्च के मध्य में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने तोक्यो का दौरा किया था। जापान और दक्षिण कोरिया के नेताओं ने बीते 12 साल में पहली बार एक के बाद एक, एक-दूसरे के देशों की यात्रा की है। यून ने बैठक की शुरुआत में कहा, '“आवाजाही की कटनीति शुरू होने पर 12 साल लग गए, लेकिन हमारी यात्राओं का आदान-प्रदान दो महीने से भी कम वक्त में हो गया। मेरे ख्याल से यह पुष्टि करता है कि हाल ही में नयी शुरूआत करने वाले दक्षिण कोरिया-जापान के रिश्ते तेज़ गति से आगे बढ़ रहे हैं।’
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