मालदीव में इस देश के लोगों की एंट्री बैन, मुइज्जू सरकार ने लिया कड़ा फैसला
गाजा युद्ध के बीच मुइज्जू सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है। मालदीव अपनी सरहद में इजरायली नागरिकों की एंट्री पर बैन लगाएगा। इसे लेकर आवश्यक कानूनी बदलाव शुरू करने का फैसला लिया गया है।
गाजा में युद्ध के बीच मालदीव की मुइज्जू सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मालदीव सरकार ने ऐलान किया है कि वो अपनी सरहद में इजरायली नागरिकों की एंट्री पर बैन लगाएगा। गृह सुरक्षा और प्रौद्योगिकी मंत्री अली इहुसन ने कहा कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने एक कैबिनेट बैठक के दौरान इस पाबंदी को लागू करने के लिए आवश्यक कानूनी बदलाव शुरू करने का फैसला किया है।
इस फैसले को लागू करने के लिए मंत्रियों की एक विशेष कैबिनेट कमिटी का गठन किया गया है। मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू ने कैबिनेट की सिफारिश के बाद इजरायली पासपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का संकल्प लिया है।" प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "कैबिनेट के फैसले में इजरायली पासपोर्ट धारकों को मालदीव में प्रवेश करने से रोकने के लिए आवश्यक कानूनों में संशोधन करना और इन प्रयासों की निगरानी के लिए एक कैबिनेट सब-कमिटी की स्थापना करना शामिल है।"
मालदीव में आते हैं 10 लाख पयर्टक
मुइज्जू सरकार ने ये फैसला गाजा पर इजरायली सेना के हमले को लेकर मालदीव के लोगों में लगातार बढ़ रहे गुस्से को देखते हुए लिया है। मालदीव में हर साल दस लाख से अधिक पर्यटक आते हैं। इसमें इजरायल से लगभग 15,000 पर्यटक शामिल हैं। वहीं, मालदीव सरकार ने फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए फंड जुटाने और उसके समर्थन के लिए मुस्लिम देशों के साथ चर्चा करने का भी फैसला किया है। कहा जा रहा है कि UNRWA के जरिए फिलिस्तीन नागरिकों के लिए फंड इक्ट्ठा किया जाएगा। इसके साथ ही कैबिनेट ने ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने के लिए विशेष दूत नियुक्त करने का फैसला किया है, जहां फिलिस्तीन को मालदीव की मदद की सख्त जरूरत है।
हमास-इजरायल के बीच जंग जारी
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने इजरायल से राफा शहर में हमले रोकने को कहा था, इसके बावजूद पहली बार इजरायली सेना के टैंक राफा में घुस गए थे। 7 अक्टूबर को हमास से जंग शुरू होने के सात महीने बाद इजलायली सेना ने 6 मई को राफा में ऑपरेशन शुरू किया था। 27 मई को इजरायल ने राफा के एक राहत कैंप पर बमबारी की थी। इस हमले में हमास ने 45 नागरिकों के मारे जाने का दावा किया था। इस हमले की जब दुनियाभर में आलोचना हुई, तो बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे त्रासद दुर्घटना माना था। वहीं, इस हमले के तुरंत बाद आईडीएफ ने दावा किया था कि उन्होंने हमास के ठिकाने को निशाना बनाया था। इस हमले में आईडीएफ ने हमास के दो टॉप कमांडर- यासिन राबिया और खालेद नज्जर को मार गिराने का दावा किया।
इजरायल पर दागे थे हजारों रॉकेट
पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर पांच हजार रॉकेट दागे थे। इसके साथ ही हमास के लड़ाके दक्षिणी इजरायल में घुस आए थे और लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया था। हमास के इस हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे। इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग शुरू कर दी। कुछ महीनों पहले इजरायल और हमास के बीच हुई सीजफायर डील में कई बंधकों को छोड़ दिया गया था, लेकिन अब भी दर्जनों बंधक हमास के कब्जे में हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि जब तक हमास का खात्मा नहीं होता, तब तक जंग जारी रहेगी।
ये भी पढ़ें-
- पाकिस्तान की अल्पसंख्यक महिला ने अपने ही देश में रचा इतिहास, सेना में बड़े ओहदे की सौंपी गई कमान
- इब्राहिम रईसी की मौत के बाद ईरान में शुरू हुआ राष्ट्रपति चुनावों का दौर, जानें किन दावेदारों ने किया नामांकन
- आने वाली है कोरोना से बड़ी महामारी, WHO ने शुरू की अभी से निपटने की तैयारी