26/11 मुंबई आतंकी हमले से इस इजरायली बच्चे "मोशे" का क्या है नाता, जिसे PM मोदी ने गले लगाकर दिया था भारत आने का न्योता
मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले से इजरायली बच्चे मोशे की कहानी भी जुड़ी है। पीएम मोदी ने वर्ष 2017 में इजरायल दौरे के दौरान मोशे को गले लगाया था और उसे भारत आने का न्योता दिया था। मुंबई आतंकी हमले के वक्त वह सिर्फ 2 वर्ष का था। उसने अपनी आंखों से पाकिस्तानी आतंकियों को लाइव मुंबई में देखा था।
Edited By : Dharmendra Kumar Mishra
Published : Nov 26, 2023 12:11 IST, Updated : Nov 26, 2023, 12:16:02 IST 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले की आज 15वीं बरसी है। इस हमले की खौफनाक यादें आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। पाकिस्तानी आतंकियों ने समुद्र के रास्ते भारत आकर मुंबई के ताज होटल समेत कई अन्य ठिकानों पर भारतीयों और अन्य लोगों को बंधक बना लिया था। इस दौरान आतंकी हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 लोग मारे गए थे। बदले की कार्रवाई में सभी आतंकी मारे गए थे। एक मात्र जिंदा पाकिस्तानी आतंकी अजमल आमिर कसाब को भारत ने जिंदा पकड़ा था। जिस पर मुकदमा चलाने के बाद उसे फांसी दी गई। इस हमले से इजरायली बच्चे मोशे होल्त्सबर्ग का भी गहरा नाता है, जो उस वक्त मुंबई में था और सिर्फ 2 वर्ष का था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2017 में अपने इजरायल दौरे के दौरान इजरायली बच्चे मोशे होल्त्सबर्ग से मिलने के बाद अपने सीने से लगा लिया था। साथ ही मोशे को भारत आने का न्योता भी दिया था। मोशे को मुंबई हमले की खौफनाक यादें और पीएम मोदी के साथ बीते उन शानदार लम्हों की बातें आज भी ताजा हैं। इसलिए मोशे ने इन दोनों वक्त को खास तरीके से याद किया है। बता दें कि मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमले में मोशे बाल-बाल बचा था। मोशे होल्त्सबर्ग के नाना-नानी ने उनका दुख महसूस करने और उसे अपना समझने के लिए भारत के लोगों का आभार व्यक्त किया है।
पाकिस्तानी आतंकियों ने मोशे के मां-बाप को भी मार डाला था
पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में कई स्थानों पर हमला किया था जिनमें से एक ‘नरीमन हाउस’ भी था, जिसे चाबड हाउस भी कहा जाता है। मोशे उस वक्त सिर्फ दो वर्ष का था और हमले के वक्त अपने माता-पिता गैब्रिएल होल्त्बर्ग एवं रिवका होल्त्सबर्ग के साथ नरीमन हाउस में था। उस बर्बर हमले में मोशे के माता-पिता मारे गए थे। मोशे के नाना रब्बी शिमोन रोसेनबर्ग ने पीटीआई से कहा, ‘‘भारत के लोगों को याद है कि 15 वर्ष पहले आज के दिन क्या हुआ था। हमारे परिवार पर और अन्य इजराइली परिवारों पर जो कहर टूटा था आपको याद है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं, मेरी पत्नी येहुदित और मोशे दिल से ये मानते हैं और इस बात के लिए भारत में आप सबका आभार व्यक्त करना चाहते हैं कि आपने हमारे दुख को महसूस किया और उसे अपना समझा।
इजरायल-हमास युद्ध का किया जिक्र
मोशे के नाना-नानी ने इजराइल और हमास के बीच युद्ध की पृष्ठभूमि में कहा, ‘‘इस वर्ष ने खासतौर पर दिखाया कि आतंकवादी किस तरह से यहूदियों की हत्या करना चाहते हैं, लेकिन हम पूरी दुनिया में शांति चाहते हैं।’’ नन्हे मोशे को हमले से बचाकर उसे सीने से चिपकाए उसकी नैनी सैंड्रा की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। रोसेनबर्ग ने कहा, ‘‘मोशे ठीक है और येशिवा में पढ़ाई कर रहा है। सैंड्रा इजराइल में है और सप्ताहांत में यरूशलम से हमारे पास आती है। वह हमारे परिवार की सदस्य की ही तरह है और यह घर उसका भी है।’’ सैंड्रा को इजराइल सरकार ने मानद नागरिकता दी थी और उसे ‘राइटियस जंटिले’ की उपाधि से सम्मानित किया था। यह एक दुर्लभ सम्मान है और यह उन लोगों को दिया गया जिन्होंने नरसंहार के दौरान यहूदियों को बचाने में अपनी जान जोखिम में डाली।
मोशे ने आतंक के खिलाफ उठाई आवाज
मुंबई आतंकी हमले में बाल-बाल बचे मोशे ने पिछले वर्ष एक वीडियो संदेश जारी कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंक का मुकाबला करने के तरीकों की तलाश करने की मार्मिक अपील की थी। ताकि ‘‘किसी को भी उस पीड़ा से नहीं गुजरना पड़े, जिससे वह गुजरा है।’’ उस वीडियो में मोशे ने अपने बचने की कहानी भी साझा की। वह सिर्फ सैंड्रा के साहस के कारण ही बच सका ‘‘जिसने उसे बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली थी।’’ मोशे ने अपनी परवरिश की कहानी भी दुनिया के साथ साझा की। उसने वीडियो में 2017 में इजराइल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपनी मुलाकात को भी याद किया। उसने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे प्यार से गले लगाया और मुझे मेरे नाना-नादी के साथ भारत आने का न्योता दिया। (भाषा)
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