इजरायल-हमास संघर्ष के कारण भारत - पश्चिम एशिया - यूरोप आर्थिक गलियारा परियोजना में देरी और जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। बता दें कि नई दिल्ली में 9 से 11 सितंबर को हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस कोरिडोर को बनाने का ऐलान किया था। मगर अब इजरायल हमास युद्ध शुरू होने से इस प्रोजेक्ट की महत्वाकांक्षा पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि हालांकि संघर्ष के तात्कालिक परिणाम इजराइल और गाजा तक ही सीमित हैं, लेकिन पूरे पश्चिम एशिया में इसके प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता है।
थिंक टैंक ने कहा कि संघर्ष इजरायल और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक शांति समझौते की संभावना को पटरी से उतार सकता है, जो भारत - पश्चिम एशिया - यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईईसी) ढांचे में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। हालांकि, सऊदी अरब और इजराइल के बीच ऐतिहासिक रूप से कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन हाल के वर्षों के दौरान संबंधों में नरमी के संकेत देखे गए हैं। जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि युद्ध की स्थिति में दोनों देशों के बीच बातचीत पटरी से उतर सकती है।
इजरायल-हमास युद्ध के होंगे दूरगामी परिणाम
इजरायल हमास में युद्ध शुरू होने के बाद से ही इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर आशंका के बादल घिरने लगे हैं। ''मौजूदा इजराइल-हमास संघर्ष परियोजना की समयसीमा और परिणामों को बाधित कर सकता है। हालांकि, युद्ध का प्रत्यक्ष प्रभाव स्थानीय स्तर तक सीमित है, लेकिन इसके भू-राजनीतिक परिणाम बहुत दूर तक होंगे।'' आईएमईईसी एक प्रस्तावित आर्थिक गलियारा है, जिसका उद्देश्य एशिया, फारस की खाड़ी और यूरोप के बीच संपर्क और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है। यह गलियारा भारत से लेकर यूरोप तक फैला होगा। (भाषा)
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