गाजा के अस्पताल पर हमला है 'युद्ध अपराध'? जानें जंग के बीच हॉस्पिटल- स्कूल पर अटैक के क्या हैं इंटरनेशनल कानून
जंग के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून आम नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करता है। मानवीय कानून यह कहता है कि जंग में अस्पताल, स्कूल जैसी जगहों पर हमले नहीं होने चाहिए। जानिए और क्या कहता है इंटरनेशनल मानवीय कानून।
Israel Hamas War and International Law: इजराइल और हमास में जंग के बीच सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट रहा गाजा के अल अहली अस्पताल पर हमला। 17 अक्टूबर को गाजा के अल-अहली अस्पताल पर हमला बेहद वीभत्स था। इस हमले में 500 लोगों की मौत हो गई। अस्पताल पर हुए इस हमले पर पूरी दुनिया में चर्चा हुई। इस हमले पर इजराइल और हमास ने एकदूसरे पर आरोप लगाया। हालांकि अमेरिका ने इसमें फिलिस्तीन के इस्लामिक जिहाद का हाथ होना बताया और इजराइल को क्लीन चिट दे दी। मानवीय आधार अस्पताल पर हमले की पूरी दुनिया ने निंदा की। लेकिन सवाल यह है कि जब जंग होती है तो क्या अस्पताल, स्कूल, धार्मिक स्थलों पर हमला करना क्या सही कृत्य होता है? युद्धकाल में अस्पतालों और स्कूलों को लेकर युनाइटेड नेशन का चार्टर या इंटरनेशनल कानून क्या कहता है?
क्या कहता है इंटरनेशनल लॉ?
जंग के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून आम नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करता है। क्योंकि वे जंग में शामिल नहीं होते हैं। जंग सेनाएं लड़ती हैं। अगर इन्हें युद्ध में निशाना बनाया जाता है तो यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन माना जाता है। युद्ध के दौरान नागरिकों, बस्तियों और मानवीय कार्यकर्ताओं पर हमले, जब हमले की जरूरत न हो तो संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, यौन हिंसा और गैरकानूनी निर्वासन को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून अपराध मानता है। स्कूलों और अस्पतालों पर किसी भी तरह किया गया हमला संयुक्त राष्ट्र द्वारा चिन्हित गंभीर उल्लंघनों में से एक है। यूएन के मुताबिक, जब दो देशों या दो गुटों के बीच युद्ध होता है और उस दौरान इस तरह के हमले किए जाते हैं, तो उसे अपराध या वॉर क्राइम कहा जाता है। दरअसल, ऐसे हमले जेनेवा कन्वेंशन और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है। इसके लिए जो नियम हैं उनको 'लॉ ऑफ वॉर' कहा जाता है।
जंग को लेकर क्या है जेनेवा समझौता?
जंग के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून जेनेवा कन्वेंशन द्वारा निर्धारित होता है। इस कन्वेंशन को इजराइल भी मानता है। चौथा जेनेवा कन्वेंशन साल 1949 में बनाया गया था। यह उन लोगों को रक्षा प्रदान करने वाला पहला कन्वेंशन था, जो युद्ध में शामिल नहीं हैं। अनुच्छेद 14 और 18 जंग के दौरान अस्पतालों की सुरक्षा की बात करते हैं। अनुच्छेद 14 के अनुसार जंग के दौरान बीमार, घायल और प्रेगनेंट महिलाओं के लिए अस्पताल और सेफ्टी जोन बनाए जाने चाहिए। वहीं अनुच्छेद 18 मरीजों और अस्पतालों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। वहीं एडिशनल प्रोटोकॉल वन ये कहता है कि चिकित्सा यूनिट्स को जंग के दौरान पूरे समय सुरक्षा दी जानी चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि जंग के बीच वे किसी हमले का शिकार न बनें।
क्या है रोम स्टेच्यू? जंग को लेकर क्या है इसका महत्व
रोम स्टेच्यू एक संधि है। इस ट्रीटी के अंतर्गत इंटरनेशनल क्रीमिनल कोर्ट (ICC) की स्थापना हुई। युद्ध के दौरान अगर अस्पतालों या सांस्कृतिक इमारतों पर किए गए हमले जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन करते हैं तो ऐसे मामलों की जांच और मुकदमा चलाए जाने की जिम्मेदारी इंटरनेशनल क्रीमिनल कोर्ट के पास होती है। यही कारण है कि गाजा के अस्पताल पर जब रॉकेट से हमला किया गया और एक दो नहीं, 500 लोगों की मौत हुई तो पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया।