Iran News: ईरान में पूर्व जनरल कासिम सुलेमानी की कब्र के पास 3 जनवरी को दो सिलसिलेवार बम धमाके हुए। यह ब्लास्ट इतने भीषण थे कि सैकड़ों लोगों के चीथड़े उड़ गए। इस घटना में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, वहीं 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए। बड़ी बात यह है कि इस भीषण ब्लास्ट की जिम्मेदारी एक आतंकी संगठन ने ली है। इससे मिडिल ईस्ट में एक नई जंग का खतरा उत्पन्न हो गया है। क्योंकि इन भीषण बम धमाकों के बाद ईरान ने आईएस से बदला लेने की कसम खाई है।
इस्लामिक स्टेट द्वारा बम धमाकों की जिम्मेदारी लेने के बाद मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों में वर्चस्व की एक नई जंग का आगाज हो सकता है। कहा जा रहा है कि ईरान पर हमला करके इस्लामिक स्टेट ने एक बार फिर ईरान और उसे समर्थन देने वाले हिजबुल्ला और हूती विद्रोही जैसे संगठनों को खुली चुनौती दे दी है।
हिजबुल्ला, हमास और हूतियों का समर्थन करता है ईरान
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि हमास, हिजबुल्ला और हूती विद्रोहियों के संगठन को ईरान का खुला समर्थन है। दरअसल, गाजा पट्टी को नियंत्रित करने वाले हमास का हिजबुल्ला और ईरान समर्थित आतंकी संगठन इस्लामिक जिहाद के साथ गहरा नाता रहा है। इजरायल पर 7 अक्टूबर को जो आतंकी हमला किया गया था, उसके बाद हिजबुल्ला ने बकायदा बयान जारी कर कहा था कि हमास ने हमले को अंजाम देने से पहले हिजबुल्ला से संपर्क किया था। ईरान समय-समय पर इन संगठनों को पैसे और हथियार देकर इनकी मदद भी करता रहता है।
आईएसआईएस को मिलता है सऊदी अरब का सपोर्ट
ईरान की स्थिति से ठीक उलट इराक और सीरिया में आतंक फैलाने वाले इस्लामिक स्टेट यानी आईएसआईएस को सऊदी की तरफ से सपोर्ट मिलता है। सिर्फ सऊदी ही नहीं बल्कि कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों की सरकारें भी अंदरूनी तौर पर ISIS का समर्थन करती हैं।
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