ईरान की तरफ से इजराइल पर किए गए ड्रोन और और मिसाइल हमलों के बाद अब ईरान में एक नई तरह की बहस छिड़ गई है। ईरान के एक टॉप लीडर ने इस मामले में अलह तरह से प्रतिक्रिया दी है। ईरान के टॉप लीडर का इजराइल पर ड्रोन और मिसाइल हमले से हुए नुकसान से जुड़े सवालों का जवाब देने से इनकार कर देना इस बात को स्वीकारने का संकेत है कि तेहरान के बड़े हमले के बावजूद कुछ ही मिसाइल अपने लक्ष्य तक पहुंच पाईं। फिलहाल यहां यह जानना भी जरूरी हैा कि ईरान के हमले में इजराइल को किसी तरह का कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है।
क्या बोले ईरान के टॉप लीडर
खामनेई (85) ने ईरान की सेना, पुलिस और अर्द्धसैनिक रेव्यूलेशनरी गार्ड के शीर्ष स्तर के अधिकारियों की बैठक में कहा, ‘‘दूसरे दल इस बात को लेकर बहस कर रहे हैं कि कितनी मिसाइल दागी गईं, कितनी मिसाइल निशाने पर लगीं और कितनी अपने लक्ष्य से चूक गईं। यह हमारे लिए दूसरी प्राथमिकता है।'' उन्होंने कहा ''मुख्य मुद्दा ईरानी राष्ट्र का उदय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर ईरानी सेना की इच्छाशक्ति है। बस यही मायने रखता है।''
अधिकारियों ने भी नहीं की टिप्पणी
इस बीच ईरानी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस्फहान शहर पर शुक्रवार को इजराइल की जवाबी कार्रवाई को लेकर भी कोई टिप्पणी नहीं की। भले ही अधिकारियों ने इजराइल के पलटवार पर किसी तरह की टिप्पणी ना की हो लेकिन ईरान की तरफ से मिसाइल डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था। इतना ही नहीं देश भर में कॉमर्शियल उड़ानों पर भी रोक लगा दी गई थी।
ईरान ने दागी मिसाइलें
गौरतलब है कि, ईरान ने इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने के मकसद से 13 अप्रैल को सैकड़ों की संख्या में ड्रोन, बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइलें दागी थीं। इजराइल पर ईरान के इस हमले को 1991 के बाद दूसरा सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। उस समय इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने खाड़ी युद्ध के दौरान इजराइल पर स्कड मिसाइलें दागी थीं। इजराइल ने अमेरिका, ब्रिटेन और पड़ोसी जॉर्डन की ओर से समर्थित एयर डिफेंस सिस्टम और लड़ाकू विमानों की मदद से अधिकतर मिसाइल को मार गिराया था।
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