'कुरान जलाने' और 'पैगंबर मुहम्मद के अपमान' के आरोप में ईरान ने 2 लोगों को दी फांसी
यूसुफ मेहराद और सदरउल्ला को एकान्त कारावास में रखा गया था और इन दोनों से उनके परिवार के लोग भी नहीं मिल सकते थे।
तेहरान: ईरान में ईशनिंदा के मामले में सोमवार को 2 लोगों को फांसी पर लटका दिया गया। अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इन दोनों को ‘कुरान जलाने’ और ‘पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने’ का दोषी पाए जाने पर मौत की सजा सुनाई गई थी। बता दें कि ईरान दुनियाभर में सबसे ज्यादा फांसी देने वाले देशों में शामिल है। ऑस्लो में स्थित ग्रुप ‘ईरान ह्यूमन राइट्स’ के मुताबिक, इस मुल्क में साल की शुरुआत से अब तक कम से कम 203 कैदियों को फांसी दी जा चुकी है।
मेहराद और सदरउल्ला को दी गई फांसी
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के मुताबिक, सोमवार को मध्य ईरान की अराक जेल में यूसुफ मेहराद और सदरउल्ला नाम के 2 लोगों को फांसी दे दी गई। इन दोनों को टेलीग्राम ऐप पर ‘अंधविश्वास और धर्म के आलोचक’ हेडिंग वाले मैसेज में शामिल होने के आरोप में मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। आयोग ने बताया कि यूसुफ मेहराद और सदरउल्ला को एकान्त कारावास में रखा गया था और इन दोनों से उनके परिवार के लोग भी नहीं मिल सकते थे।
दोनों पर कुरान जलाने का आरोप भी था
ईरान की न्यायपालिका की ‘मीजान’ न्यूज एजेंसी ने पैगंबर मुहम्मद पर सवाल उठाने, उनका अपमान करने और नास्तिकता को बढ़ावा देने के आरोप में दोनों व्यक्तियों को फांसी की सजा देने की पुष्टि की। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दोनों दर्जनों ऐसे अकाउंट्स भी चलाते थे जिन पर नास्तिकता को बढ़ावा दिया जा रहा था और उन पर कुरान को लजाने का भी आरोप था। वहीं, मेहराद के वकील ने बार-बार दलील दी कि वह निर्दोष है और उसने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे पैगंबर या कुरान की बेअदबी होती हो।
कई देशों में ईशनिंदा की सजा है मौत
बता दें कि ईरान में ईशनिंदा के मामलों में आमतौर पर फांसी की सजा नहीं दी जाती है। पिछले मामलों में देखा गया है कि अधिकारियों ने ईशनिंदा के मामलों में सजा कम कर दी थी। मध्य पूर्व के अन्य देशों, जैसे कि सऊदी अरब में भी ईशनिंदा के लिए मौत तक की सजा दी जाती है। पाकिस्तान भी ऐसे देशों में शामिल है जहां ईशनिंदा में दोषी पाए जाने पर मौत की सजा हो सकती है।