Singapore: भारतीय तटरक्षकों यानी इंडियन कोसटगार्ड समंदर की हर हरकत पर पैनी निगाह रखती है। इन कोस्टगार्ड्स और समुद्री पुलिस के कार्रवाई से जहाजों में लूटपाट के मामलों में कमी आई है। भारतीय तटरक्षकों और समुद्री पुलिस ने समुद्र तटों के आसपास सामान बेचने वालों की जांच करके उन्हें जहाजों से चोरी की गई वस्तुएं न खरीदने की चेतावनी दी है, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय जलक्षेत्र में जहाजों में लूटपाट के मामलों में कमी आई है। यह जानकारी स्थानीय समुद्री एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को दी।
एशिया में जहाजों में समुद्री डकैती और सशस्त्र लूटपाट से निपटने पर क्षेत्रीय सहयोग समझौता (आरईसीएएपी) सूचना आदान-प्रदान केंद्र ने शुक्रवार को जारी अपनी अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि इस वर्ष की पहली छमाही (जनवरी-जून 2023) के दौरान भारतीय जलक्षेत्र में केवल 2 घटनाओं की जानकारी मिली, जबकि पिछले साल ऐसी तीन घटनाएं हुई थीं। इससे पहले इस तरह की 10-12 घटनाएं सामने आती थीं, इस लिहाज से ऐसी घटनाओं में नाटकीय गिरावट आई है।
खड़े जहाजों में हुई दो घटनाएं
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल की पहली छमाही में जो दो घटनाएं हुईं, वे खड़े हुए जहाजों पर हुईं। सिंगापुर आधारित आरईसीएएपी के कार्यकारी निदेशक कृष्णास्वामी नटराजन ने कहा, "इन प्रयासों से भारतीय जलक्षेत्र में जहाजों में डकैती की घटनाओं पर अंकुश लगा है और मैं इसकी सराहना करता हूं।" उन्होंने कहा कि भारतीय तटरक्षकों और समुद्री पुलिस ने समुद्र तटों के आसपास सामान बेचने वालों की जांच करके उन्हें जहाजों से चोरी की गई वस्तुएं न खरीदने की चेतावनी दी है, जिसके कारण भारतीय जलक्षेत्र में जहाजों में लूटपाट के मामलों में कमी आई है।
1978 को हुई थी भारतीय तटरक्षक की स्थापना
भारतीय तटरक्षक की स्थापना शांतिकाल में भारतीय समुद्र की सुरक्षा करने के उद्देश्य से 18 अगस्त 1978 को की गई थी। संघ के एक स्वतंत्र सशस्त्र बल के रूप में संसद द्वारा तटरक्षक अधिनियम 1978 के अंतर्गत यह स्थापना की गई। इसका आदर्श वाक्य है ’वयम् रक्षाम: यानी हम रक्षा करते हैं।' भारतीय तटरक्षक बल विश्व का चौथा सबसे बड़ा तटरक्षक बल है।
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