कोलंबो: श्रीलंका में महंगाई और आवश्यक वस्तुओं की कमी को लेकर लोगों का विरोध बढ़ता जा रहा है। इस बीच कुछ ऐसी खबरें आई थीं कि देश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारत की सेना पहुंची थी। हालांकि, श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को इन खबरों को खारिज कर दिया कि भारतीय सशस्त्र सैनिक कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करने के लिए आए थे।
‘सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही हैं फेक तस्वीरें’
रक्षा मंत्रालय के सचिव, कमल गुणरत्ने ने पत्रकारों को बताया कि स्थानीय सैनिक किसी भी राष्ट्रीय सुरक्षा आपातकाल से निपटने में सक्षम हैं और बाहर से ऐसी किसी सहायता की आवश्यकता नहीं है। गुणरत्ने ने कहा कि सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें ‘ट्रेंड’ कर रही हैं, वे एक साल पहले की हैं, जब भारतीय सैनिकों ने श्रीलंका के साथ संयुक्त सुरक्षा अभ्यास किया था। इस बीच भारतीय उच्चायोग ने भी इन खबरों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए एक बयान जारी किया।
‘श्रीलंका में अपने सैनिक नहीं भेज रहा है भारत’
भारतीय उच्चायोग ने कहा, ‘उच्चायोग (भारत का) मीडिया के एक वर्ग में स्पष्ट रूप से झूठी और पूरी तरह से निराधार खबरों का दृढ़ता से खंडन करता है कि भारत अपने सैनिकों को श्रीलंका भेज रहा है। उच्चायोग ऐसी गैर-जिम्मेदार रिपोर्टिंग की भी निंदा करता है और उम्मीद करता है कि संबंधित लोग अफवाह फैलाने से बाज आएंगे।’ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी।
रविवार को श्रीलंका में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन का आवाह्न
यह कदम ऐसे समय में भी उठाया गया है, जब आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी को लेकर द्वीपीय देश में रविवार को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन का आह्वान किया गया है। ऐसे में कर्फ्यू लागू रहने के कारण लोग विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। उल्लेखनीय है कि श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। पिछले कई सप्ताह से देश की जनता को ईंधन और रसोई गैस के लिए लंबी कतारों का सामना करने के साथ ही आवश्यक चीजों की किल्लत झेलनी पड़ रही है।
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